वेरऐनिख़्डे ऑव्स्टिडिस्ख़े कोम्पाख़्नी, वीओसी (डच: Verenigde Oostindische Compagnie, VOC) या अंग्रेज़ीकरण यूनाइटेड ईस्ट इंडिया कंपनी नीदरलैंड की एक व्यापारिक कंपनी है जिसकी स्थापना 1602 में की गई और इसे 21 वर्षों तक मनमाने रूप से व्यापार करने की छूट दी गई। भारत आने वाली यह सब से पहली यूरोपीय कंपनी थी और 1595 में यह भारत आय थे।

वेरऐनिख़्डे ऑव्स्टिडिस्ख़े कोम्पाख़्नी/ यूनाइटेड ईस्ट इण्डिया कम्पनी/ यूनाइटेड ईस्ट इंडिया कम्पनी।
मूल नाम
वेरीनिग्द ऊस्त-इन्डिश्च कॉम्पैनी (VOC)
कंपनी प्रकारसार्वजनिक व्यापारिक कंपनी
उद्योगव्यापार, उत्पादन लूटपाट
पूर्ववर्तीवूर्कॉम्पैनी (कॉम्पैनी वान वैरी, ब्राबान्त्श कॉम्पैनी, मैगेल्हॅन्श कॉम्पैनी)
स्थापित20 मार्च 1602 (1602-03-20)[1]
स्थापकजोहान वान
समाप्त31 दिसम्बर 1799 (1799-12-31)
भाग्यभंग
मुख्यालय
सेवा क्षेत्र
यूरोप-एशिया (यूरेशिया)
अन्तर-एशिया
प्रमुख लोग
हीरेन १७वां/ जेन्टलमैन १७ (डच गणराज्य, १६०२-१७९९)
गवर्नर जनरल(बटाविया, १६१०-१८००)
उत्पादमसाले, रेशम, चीनी मिट्टी, धातु, रेवड़, चाय, अनाज (चावल, सोया बीन), गन्ना उद्योग, जहाज निर्माण आलू उद्योग

व्यापारी भूमिकाएँ

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वीओसी का हुगली, बंगाल में व्यापारिक कॉज; चित्र: हैन्ड्क फ़ान श्यूलेनबर्ख़, 1665

इंडोनेशिया

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सत्रहवीं सदी के शुरुआती दौर में दक्षिण-पूर्व एशिया के मसाला बाज़ारों में प्रवेश के इरादे से डच यहाँ आए। 1605 में डचों ने पुर्तग़ालियों से अंबोयना ले लिया और धीरे-धीरे मसाला द्वीप पुंज (इंडोनेशिया) में उन्हें हराकर अपना प्रभुत्व स्थापित किया। डचों ने जकार्ता जीतकर 1619 ई. में इसके खंडहरों पर बताविया नामक नगर बसाया।

भारत में ‘डच ईस्ट इंडिया कंपनी’ की स्थापना 1602 में हुई थी। इससे पहले 1596 में भारत आने वाला पहला डच नागरिक कारनेलिस डेहस्तमान था। डचों का [[हिन्दुस्तान घर|lपुर्तगाली] से संघर्ष हुआ और धीरे-धीरे उन्होंने भारत के सारे मसाला उत्पादन के क्षेत्रों पर क़ब्ज़ा कर लिया। 1639 में उन्होंने गोवा पर घेरा डाला और इसके दो साल बाद यानी 1641 में मलक्का पर क़ब्ज़ा कर लिया।

1658 में उन्होंने सीलोन की आखरी पुर्तग़ाली बस्ती पर अधिकार जमा लिया। डचों ने गुजरात में कोरोमंडल समुद्र तट, बंगाल, बिहार और उड़ीसा में अपनी व्यापारिक कोठियाँ खोलीं। डच लोग आम तौर पर मसालों, नीम, कच्चे रेशम, शीशा, चावलअफ़ीम का व्यापार भारत से करते थे। 1759 ई. में हुए ‘वेदरा के युद्ध’ में अंग्रेज़ों से हार के बाद डचों का भारत में अंतिम रूप से पतन हो गया।

साउथ अफ़्रीका

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भारत और इंडोनेशिया तक पहुँचने के सफ़र के दौरान, वीओसी ने साउथ अफ्रीका में एक 'खानपान बस्ती' की स्थापना की। इसके बाद वीओसी से जुड़े लोगों ने साउथ अफ़्रीका की पहली बस्तियों की नींव रखी और बाद में इन इलाक़ों को डच साम्राज्य में कालोनी के रूप में डाला गया था।

इन्हें भी देखें

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  1. "The Dutch East India Company (VOC)". Canon van Nederland. Archived from the original on 1 दिसंबर 2010. Retrieved 19 March 2011. {{cite web}}: Check date values in: |archive-date= (help)