नवंबर 2009 के दूसरे सप्ताह में जारी की गई इस फिल्म में एक अश्वेत अमेरिकी राष्ट्रपति को यह आभास होता है कि 2112 में इस दुनिया का अंत हो जाएगा। लेकिन जो वैज्ञानिक शोध दुनिया की रक्षा कर सकते हैं, वे शोध अमेरिका में नहीं, बल्कि हिंदुस्तान में हुए हैं। आवागमन की बड़ी-बड़ी नौकाएं जो लोगों को सुरक्षित ले जा सकती हैं, वे चीन में बनाई गई हैं। इस सारे काल्पनिक वैज्ञानिक तामझाम और दहलाने वाले सिनेमाई प्रभाव के साथ कहानी की मुख्य अंतर्वस्तु यह है कि 2012 में अमेरिका वैश्विक सत्ता का केंद्र नहीं रह गया है। ताकत का यह पांसा उलट गया है।

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