डिजिटल कार्ड या आभाषी कार्ड या क्लाउड कार्ड के नाम से जाना जाने वाले इस कार्ड का कोई भौतिक अस्तित्व नहीं होता बल्कि यह केवल ऑनलाइन दिखाई देता है और इसे ग्राहकों को सीधे किसी एप अथवा वेबसाइट के द्वारा प्रदान कर दिया जाता है। हालांकि इसका उपयोग किसी डेबिट/क्रेडिट कार्ड की तरह ऑनलाइन पेमेंट में किया जा सकता है, लेकिन ऑफलाइन खरीददारी में बिना एनएफ़सी या एप के नहीं किया जा सकता है।

ऐसे कार्ड केवल डेबिट/क्रेडिट ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य बीमा कार्ड, वाहन लाइसेंस आदि में भी किए जाते हैं। डिजिटल कार्ड लोगों के स्मार्टफोन, डिजिटल वैलट या स्मार्ट वॉच आदि में सहेजे जा सकते हैं। यह पूरी तरह इंटरनेट द्वारा संचालित किया जाता है।

इतिहास संपादित करें

उपयोग संपादित करें

डिजिटल कार्ड का इस्तेमाल बैंक, लोन देने वाली कंपनियों, बीमा कंपनियों और अन्य द्वारा भी किया जाता है। चूंकि एक वास्तविक कार्ड को बनाने और उसे ग्राहक तक पहुंचाने में काफी पैसा और समय लग जाता है, इस कारण कई कंपनियों ने तुरंत ही डिजिटल कार्ड देने को प्राथमिकता दी है। इससे लोगों के पास तुरंत ही कार्ड आ जाता है और वे चाहें तो बिना समय गँवाए ही कार्ड का इस्तेमाल शुरू कर सकते हैं।

इसके अलावा कुछ कंपनियों ने पैसे बचाने के लिए केवल डिजिटल कार्ड देने का भी निश्चय किया है, जिसमें यदि आप अपने कार्ड में लगने वाले खर्च नहीं देना चाहते तो आप बैंक से सिर्फ डिजिटल कार्ड ले सकते हैं, जो केवल आपके बैंक के एप में रहेगा और आप अपने फोन से ही उसका इस्तेमाल किसी वास्तविक कार्ड की तरह कर सकते हैं।

डिजिटल कार्ड का इस्तेमाल इन कुछ तरीकों से किया जाता है:

  • ग्राहकों द्वारा अपने स्मार्टफोन से क्यूआर कोड को स्कैन कर एप में सहेजे कार्ड से भुगतान कर,
  • एनएफ़सी प्रोटोकॉल का इस्तेमाल कर एनएफ़सी रीडर के पास अपने स्मार्टफोन को ले जा कर,
  • मोबाइल के ब्लूटुथ द्वारा भी इसका उपयोग किया जा सकता है, हालांकि इसका उपयोग बहुत कम होता है।
  • डिजिटल कार्ड की जानकारी एप अथवा वेबसाइट में डाल कर खरीददारी करने में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

सन्दर्भ संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें