डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान

असम का राना डीमक इससे आप असम के सारे नेशनल पार्क याद कर सकते हैं।

डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान भारत में असम राज्य के पूर्व में ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिणी तट में स्थित जैव विविधता वाले क्षेत्रों में से एक है। मुख्यतः नमीदार मिश्रित अर्ध-सदाबहार वन, नमीदार मिश्रित पतझड़ीय वन तथा घास के मैदानों का यह क्षेत्र असम के तिनसुकिया ज़िले में स्थित है। डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान विश्व के १९ जैव विविध हॉट स्पॉट वाले क्षेत्रों में से एक है। ब्रह्मपुत्र के गोद में स्थित डिब्रू-सैखोवा दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों और जैविक विषमताओं को समेटे हुए हैं। यह क्षेत्र अपने प्राकृतिक सौन्दर्य और विविध वन्य-जीवन के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। विश्व के अनेक देशों से पर्यटक और विज्ञानी यहाँ घुमने और अध्ययन के लिए आते हैं। जंगली घोड़ा और वुड डक इस पार्क के मुख्य आकर्षण है। बारहमासी बड़ी नदियाँ और अत्यधिक वर्षा यहाँ के वनस्पति को सदाबहार और चमकीला बनाये रखता है और वन्य जीवन भी लाभान्वित होता है।

डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान
Dibru-Saikhowa National Park
ডিব্ৰু-ছৈখোৱা ৰাষ্ট্ৰীয় উদ্যান
आईयूसीएन श्रेणी द्वितीय (II) (राष्ट्रीय उद्यान)
डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान की अवस्थिति दिखाता मानचित्र
डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान की अवस्थिति दिखाता मानचित्र
अवस्थितिअसम, भारत
निकटतम शहरतिनसुकिया
क्षेत्रफल६५० वर्ग कि॰मी॰
स्थापित१९९९

भौगोलिक स्थिति

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डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान असम में तिनसुकिया शहर से लगभग १२ कि॰मी॰ उत्तर में स्थित राष्ट्रीय उद्यान है। यह राष्ट्रीय उद्यान दुलियाजान से 45 किलोमीटर उत्तर; डिब्रूगढ़ से 65 किलोमीटर दूर उत्तर-पूर्व, डिगबोई से 50 किलोमीटर दूर उत्तर-पश्चिम में; जोरहाट से 190 किलोमीटर उत्तर-पूर्व और गुवाहाटी से 500 किलोमीटर दूर उत्तर–पूर्व में स्थित है। यह समुद्र सतह से औसतन ११८ मी॰ की ऊँचाई में है। यह 27°30' से 27°45' उत्तर देशांतर और 95°10' to 95°45' पूर्व अक्षांश पर स्थित है। यह उद्यान लगभग ३५० वर्ग कि॰मी॰ में फैला हुआ है। उद्यान के उत्तर में ब्रह्मपुत्र और लोहित नदियाँ और दक्षिण में डिब्रू नदी बहती हैं।

संरक्षण इतिहास

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डिब्रू-सैखोवा पार्क असम राज्य सरकार द्वारा 1986 में एक वन्यजीव अभयारण्य के रूप में घोषित किया गया था। डिब्रू-सैखोवा का क्षेत्रफल दो चरणों में आरक्षित वन के रूप में घोषित किया गया था, डिब्रू क्षेत्र पहले और सैखोवा बाद में घोषित किया गया। बाद में सरकार ने डिब्रू और सैखोवा नाम के दो आरक्षित वन और कुछ अन्य क्षेत्रों को शामिल किया और इसे राष्ट्रीय उद्यान और आरक्षित जीवक्षेत्र (Biosphere Reserve) की नींव रखी। वर्ष 1999 में भारत सरकार ने इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया।

क्रम विकास -

  • 1890: डिब्रू आरक्षित वन (रिजर्व फॉरेस्ट) की घोषणा
  • 1920: डिब्रू आरक्षित वन (रिजर्व फॉरेस्ट) में पहली बार नया क्षेत्र शामिल।
  • 1928: सैखोवा आरक्षित वन (रिजर्व फॉरेस्ट) की घोषणा (प्रारंभिक अधिसूचना)
  • 1933: डिब्रू आरक्षित वन (रिजर्व फॉरेस्ट) में दूसरी बार अतिरिक्त क्षेत्र शामिल।
  • 1986: डिब्रू और सैखोवा आरक्षित वन (रिजर्व फॉरेस्ट) और कुछ अन्य आसपास के क्षेत्रों को शामिल कर डिब्रू-सैखोवा वन्य जीवन अभयारण्य की घोषणा। कुल क्षेत्र 640 वर्ग कि॰मी॰ (प्रारंभिक अधिसूचना)।
  • 1995: डिब्रू-सैखोवा वन्य जीवन अभयारण्य की घोषणा (अंतिम अधिसूचना क्षेत्र-340 वर्ग किमी)
  • 1997: 765 वर्ग क्षेत्रफल वाले डिब्रू-सैखोवा आरक्षित जीवक्षेत्र (Biosphere Reserve) की घोषणा।

कोर जोन क्षेत्र-340 वर्ग किमी। वन्य जीव अभयारण्य और बफर जोन क्षेत्र- लगभग 425 वर्ग किमी (पूरे कोर जोन क्षेत्र के चारों तरफ)

  • 1999: 340 वर्ग किमी डिब्रू-सैखोवा वन्य जीवन अभयारण्य का क्षेत्र राष्ट्रीय उद्यान के रूप में घोषणा।

यह पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़ा दलदलीय वन है। इस उद्यान का मौसम मूलतः ऊष्णकटिबंधीय मॉनसूनी है यानि गर्मियों में गर्मी और उमस और मूसलाधार वर्षा और सर्दियों में ठंड और अमूमन ख़ुश्क़। वार्षिक बारिश २३०० से ३८०० मि॰मी॰ होती है। जून से सितम्बर तक सबसे अधिक वर्षा होती है। औसतन न्यूनतम और अधिकतम तापमान ७°से॰ से ३४°से॰ तक होता है और जून, जुलाई और अगस्त सबसे गर्म और दिसम्बर तथा जनवरी सबसे ठंडे महीने होते हैं।

डिब्रू-सैखोवा अर्द्ध सदाबहार जंगल, पर्णपाती जंगल, तटीय और दलदली वन और नम सदाबहार जंगलों का मिश्रित इलाका है। इसे 7 भागों में बांटा गया है। एक भाग में दलदली इलाका है और बाकी में घास के मैदान व घने जंगल हैं। इस राष्ट्रीय उद्यान में 35.84% इलाका नम मिश्रित वन, 21.25% घास के मैदान और 9.50% इलाका ख़तम हो रहे जंगलों का है। क्षेत्र के मुख्य प्रजातियों के पेड़ और आर्किड वनस्पतियों की प्रजातियों में से कुछ हैं - Salix tetrasperma, Bischofia javanica, Dillenia indica, Bombax ceiba, Terminalia myriocarpa, Lagerstroemia parviflora, Mesua ferrea, Dalbergia sissoo, Ficus spp. आदि हैं। डिब्रू-सैखोवा पार्क में घास की प्रमुख प्रजातियां हैं - Arundo donax, Imperata cylindrica, Phragmaties karka, Erianthus ravanea, saccharum spp.

डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान को मुख्य रूप से सफेद पंखों वाला देवहंस (Wood Duck) को अपनी प्राकृतिक वास में संरक्षण के लिए स्थापित किया गया था। हालांकि, पार्क बाद में जंगली घोड़े और चमकदार रंगीन जंगली सफेद पंखों वाला लकड़ी बतख के रूप में प्रसिद्ध हो गया।

डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान में स्तनधारियों की कुल 36 प्रजातियाँ अब तक पाईं गयी हैं। इनमें से 12 स्तनधारी प्रजातियों को डिब्रू-सैखोवा वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम 1972 की अनुसूची 1 में सूचीबद्ध किया गया है। रॉयल बंगाल टाइगर, तेंदुआ, मलिन तेंदुआ, जंगली बिल्ली, स्लॉथ बीयर, ढोल, लघु भारतीय सीविट, जायंट मलायी गिलहरी, चीनी छिपकली, गंगा डॉल्फिन, स्लो लोर्रिस, पिग टेल्ड मकाक, असमिया मकाक, रीसस मकाक, कैप्ड लंगूर, होलोक गिब्बन, एशियाई हाथी, हिरण, एशियाई पानी भैंस, जंगली घोड़े, बार्किंग डियर, जंगली सूअर, सांभर, हॉग डीयर जैसे जानवर डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान में पाए जाते हैं।

इस राष्ट्रीय उद्यान में सरी-सृप जीव भी समान रूप से पाए जाते है। यहाँ मॉनिटर छिपकली के 2 प्रजातियां, कछुए और सांप की 8 प्रजातियों में से 8 प्रजाति अब तक दर्ज की गयीं है। तटीय और दलदली इलाका होने के कारण विभिन्न प्रजातियों के मछलियाँ यहाँ मिलती हैं। इस पार्क में मछलियों के ६२ प्रजातियाँ दर्ज की गयीं है।

पक्षियों की 350 से अधिक विभिन्न प्रजातियाँ भी दर्ज की गयीं है। पक्षी प्रजातियां- निवासी और प्रवासी दोनों प्रकार के हैं। यहाँ पाए जाने वाले मुख्य पक्षियाँ हैं- पार्क के कई जलाशयों में पाया जाने वाला स्थानीय और प्रवासी पक्षियां, व्हाइट विंग्ड वुड डक, बंगाल फ्लोरिकान, स्पॉटबिल पेलिकन, ग्रेट ईस्ट-इंडियन हार्नबिल, ग्रेटर एडजुटेंट सारस, लैसर एडजुटेंट सारस, ग्रेट ग्रेब, इंडियन शैग, भूरा बगुला, बैंगनी बगुला, श्याम बगुला, पीला बिटर्न, ब्लिथ’स किंगफिशर, ओपनबिल सारस, काला सारस, क्रेस्टेड सर्पेंट ईगल, गिद्ध, विस्लिंग टील, दलदली फ्रान कॉलिन, मार्च'स बैबलर, जोर्दन’स बैबलर, ब्लैक ब्रेस्टेड पैरॉट इत्यादि।

डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान और आरक्षित जीवक्षेत्र (Biosphere Reserve) वन्य जीवों और जैविक विविधता का एक रक्षक होने के साथ साथ एक आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में भी परिगणित हो रहा है। देश और दुनिया भर से कई पर्यटक साल भर यहाँ आते रहते हैं। यह राष्ट्रीय उद्यान जीव और वनस्पति विज्ञानियों को लगातार आकर्षित कर रहा है।

कैसे पहुंचें

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डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान पहुंचने के लिए तिनसुकिया शहर आने की जरूरत है जहां से राष्ट्रीय उद्यान के लिए बसें, टैक्सियां और ऑटोरिक्शा तिनसुकिया में उपलब्ध हैं। इसके अलावा निजी वाहन से भी उद्यान जाया जा सकता है।

  • हवाई मार्ग से: तिनसुकिया शहर से 40 किलोमीटर दूर मोहनबाड़ी, डिब्रूगढ़ में निकटतम हवाई अड्डा है।
  • रेल द्वारा: तिनसुकिया अच्छी तरह से रेल मार्ग से जुड़ा है। ट्रेन द्वारा भी यहाँ आराम से पहुँचा जा सकता है। शहर के बीचों-बीच नई तिनसुकिया रेलवे स्टेशन हैं जहां से कई महत्वपूर्ण ट्रेन जैसे - डिब्रूगढ़ राजधानी एक्सप्रेस, ब्रह्मपुत्र मेल, कामरूप एक्सप्रेस, कामख्या एक्सप्रेस, चेन्नई एक्सप्रेस, लेडो इंटर सिटी एक्सप्रेस आदि चलते हैं।
  • सड़क मार्ग: यहाँ पर सड़क मार्ग से भी पहुँचा जा सकता है। ३७ नंबर राष्ट्रीय राजमार्ग तिनसुकिया को राज्य के अन्य शहरों जैसे डिब्रूगढ़, जोरहाट, नौगाँव, गुवाहाटी आदि से जोडती है। इन शहरों के लिए दिन और रात्रि दोनों समय डीलक्स बसे चलती रहती है। यह शहर, पूर्वोत्तर के प्रवेश द्वार गुवाहाटी से सड़क मार्ग की दूरी ४८६ किलोमीटर है।

तिनसुकिया से इसका प्रवेश द्वार गुईजान घाट (तिनसुकिया से 10 किमी) से है और अन्य एक प्रवेश द्वार सैखोवा (धोला) में है जो तिनसुकिया से ४५ किमी दूर है। पार्क में प्रवेश और यात्रा के लिए पार्क प्राधिकारी से लिखित में अनुमति लेनी पड़ती है। सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले प्रवेश की अनुमति नहीं है। डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान में पर्यटकों के लिए पार्क में रात में ठहरना पूर्णतया वर्जित है।

उत्तम पर्यटन समय

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मानसून के दौरान यह राष्ट्रीय उद्यान बंद रहता है। जलवायु इस अवधि के दौरान गर्म रहती है और भारी बारिश बाढ़ लाते हैं। इसी समय कई प्रवासी पक्षी यहां प्रजनन के लिए यहां आते हैं। उनके प्रवास में कोई खलल न पड़े इसलिए भी यह मई से अक्टूबर के महीने तक बंद रहता है। नवंबर से अप्रैल महीने तक यह खुला रहता है।

क्या करें

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  • नेचर ट्रैकिंग - घने जंगलों और विशाल शुष्क भूमि चलकर जंगली वातावरण का अनुभव प्राप्त करें।
  • विहंगम दृश्य – विभिन्न प्रजातियों के पक्षी देखें। पार्क के बाहर स्थित मागुरी बिल एक और आकर्षण है। यह दुर्लभ विदेशी पक्षियों, कुछ प्रवासी पक्षियों और जंगली भैंसों के निवास है।
  • गाँव यात्रा – राष्ट्रीय उद्यान में दो वन ग्राम दाधिया और लाइका है। जंगल के मध्य रहने वाले लोगों का जीवन जीने का ढंग को जानें।
  • नाव सफारी - जंगल और वन्य जीवन को देखने के लिए सुंदर नदियों के माध्यम से विचरण करें।
  • वन्यजीव दर्शन- वन्य जीवों की अनेकों लुप्तप्राय प्रजातियों जैसे जंगली घोड़े (जो देश में कहीं और नहीं पाए जाते) को देखें।
  • फोटोग्राफी – शानदार नजारों और दृश्यों को कैमरे में कैद करें।

उपयोगी जानकारियाँ

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  • डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान में पर्यटकों के लिए हाथी सवारी उपलब्ध नहीं है न ही गाड़ियाँ चलने लायक सड़के हैं। यहाँ आने पर पर्यटकों को लंबे समय तक चलने के लिए तैयार रहना चाहिए। छोटी सी मोटर चालित नाव से पार्क के अंदर यात्रा कर सकते हैं।
  • दिशाओं के जानकारी और सुरक्षा के लिए एक स्थानीय गाइड किराये पर लेना चाहिए।
  • भटकने की स्थिति में आ सकते हैं इसलिए जरूरत का हर सामान साथ ले ले।

डिविजनल फारेस्ट ऑफिसर

वाइल्ड लाइफ डिवीजन, तिनसुकिया

पीओ/जिला तिनसुकिया (असम)

फोन: 0374-2331472 (O) 2333082 (नि॰)

[1][2]

  1. Choudhury, A.U. (1994). A report on bird survey in Dibru–Saikhowa Wildlife Sanctuary, Assam, India. Report to Oriental Bird Club, UK. 71pp+maps.
  2. Choudhury, A.U. (1998). Mammals, birds and reptiles of Dibru-Saikhowa Sanctuary, Assam, India. Oryx 32(3):192-200.