डुमरांव जमींदारी
सन 1764 इस्वी में बक्सर के युद्ध में अंग्रेजों की मदद करने के कारण एक स्थानीय किसान विक्रमादित्य सिंह को सन् 1770 इस्वी में इस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा डुमरांव क्षेत्र की जमींदारी मिली और डुमरांव जमींदारी अस्तित्व में आया। इनके पूर्वज मध्यप्रदेश से निर्वासित होकर बिहार में बस गए थे। विक्रमादित्य सिंह सन् 1805 इस्वी तक डुमरांव के जमींदार बने रहे और उसके बाद अंग्रेजों के प्रति वफादार रहने के कारण उनके वंशजो को भी पीढी दर पीढी क्षेत्र में लगान वसूलने का अधिकार प्राप्त होता रहा। बिहार का यह जमींदार परिवार सन् 1857 इस्वी के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी अंग्रेजी सरकार के प्रति वफादार बना रहा और स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ अंग्रेजों का साथ दिया था।