डेसमंड टूटू
दक्षिणी अफ्रीका के नेता, आर्चबिशप, समाजसेवी एवं नोबेल पुरस्कार विजेता
डेसमंड्आ मपीलो टूटू (जन्म ७ अक्टूबर १९३१) दक्षिण अफ्रीकी समाजसेवी, राजनेता एवं केप टाउन शहर के आर्चबिशप हैं। इन्हें [[ २००५[५] ]] में भारत सरकार द्वारा गाँधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
हस्ताक्षरसंपादित करें
पृष्ठभूमिसंपादित करें
व्यक्तिगत जीवनसंपादित करें
राजनैतिक जीवनसंपादित करें
राजनीति एवं राजनैतिक विचारसंपादित करें
संयुक्त राष्ट्र संघसंपादित करें
समूह आठसंपादित करें
जिंबावबे पर विचारसंपादित करें
गुलामी प्रथा परसंपादित करें
बच्चों के बारे मेंसंपादित करें
समाज मनोविज्ञान में योगदानसंपादित करें
इजरायल एवं यहूदी संबंधों पर विचारसंपादित करें
बेत हानूनसंपादित करें
आतंकवाद के विरोध मेंसंपादित करें
एड्स के खिलाफ मुहिमसंपादित करें
चर्च सुधारों पर विचारसंपादित करें
समलैंगिकता पर उनके विचारसंपादित करें
हेतीसंपादित करें
२००८ के ओलोम्पिक पर विचारसंपादित करें
चेयरमैन ऑफ द एल्डर्ससंपादित करें
टूटू की आलोचनासंपादित करें
नेल्सन मंडेला फाऊंडेशन व्याख्यानसंपादित करें
अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस से रिश्तेसंपादित करें
पुरस्कार एवं सम्मानसंपादित करें
इन्हें [[ २००५[५] ]] में भारत सरकार द्वारा गाँधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
मीडीया एवं फिल्मों मे टूटूसंपादित करें
लोकसंस्कृतिसंपादित करें
टूटू के महत्वपूर्ण वक्तव्यसंपादित करें
डेसमंड टूटू ने एक बार कहा था, जब मिशनरी अफ्रीका आये तो उनके पास बाईबल थी और हमारे पास जमीन । उन्होंने कहा, " हम तुम्हारे लिये प्रार्थना करने आये हैं ।" हमने आंखे बंद कर लीं । और जब खोलीं तो हमारे हाथ में बाईबल थी और उनके पास जमीन ।
संदर्भ सूची एवं टीका-टिप्पणीसंपादित करें
बाहरी कड़ियाँसंपादित करें
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