डेसमंड टूटू
दक्षिणी अफ्रीका के नेता, आर्चबिशप, समाजसेवी एवं नोबेल पुरस्कार विजेता
डेसमंड्आ मपीलो टूटू (जन्म ७ अक्टूबर १९३१ - 26 दिसंबर 2021।) दक्षिण अफ्रीकी समाजसेवी, राजनेता एवं केप टाउन शहर के आर्चबिशप हैं। इन्हें [[ २००५[५] ]] में भारत सरकार द्वारा गाँधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
हस्ताक्षर
संपादित करेंपृष्ठभूमि
संपादित करेंव्यक्तिगत जीवन
संपादित करेंराजनैतिक जीवन
संपादित करेंराजनीति एवं राजनैतिक विचार
संपादित करेंसंयुक्त राष्ट्र संघ
संपादित करेंसमूह आठ
संपादित करेंजिंबावबे पर विचार
संपादित करेंगुलामी प्रथा पर
संपादित करेंबच्चों के बारे में
संपादित करेंसमाज मनोविज्ञान में योगदान
संपादित करेंइजरायल एवं यहूदी संबंधों पर विचार
संपादित करेंबेत हानून
संपादित करेंआतंकवाद के विरोध में
संपादित करेंएड्स के खिलाफ मुहिम
संपादित करेंचर्च सुधारों पर विचार
संपादित करेंसमलैंगिकता पर उनके विचार
संपादित करेंहेती
संपादित करें२००८ के ओलोम्पिक पर विचार
संपादित करेंचेयरमैन ऑफ द एल्डर्स
संपादित करेंटूटू की आलोचना
संपादित करेंनेल्सन मंडेला फाऊंडेशन व्याख्यान
संपादित करेंअफ्रीकी नेशनल कांग्रेस से रिश्ते
संपादित करेंपुरस्कार एवं सम्मान
संपादित करेंइन्हें [[ २००५[५] ]] में भारत सरकार द्वारा गाँधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
मीडीया एवं फिल्मों मे टूटू
संपादित करेंलोकसंस्कृति
संपादित करेंटूटू के महत्वपूर्ण वक्तव्य
संपादित करेंडेसमंड टूटू ने एक बार कहा था, जब मिशनरी अफ्रीका आये तो उनके पास बाईबल थी और हमारे पास जमीन । उन्होंने कहा, " हम तुम्हारे लिये प्रार्थना करने आये हैं ।" हमने आंखे बंद कर लीं । और जब खोलीं तो हमारे हाथ में बाईबल थी और उनके पास जमीन ।
संदर्भ सूची एवं टीका-टिप्पणी
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
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