डॉक्टर राजकुमार
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सिंगनल्लूरु पुठस्वामय्या मुत्तुराज का जन्म 24 अप्रैल 1929 को तालवाडी के गाजनूर में हुआ। उनकी मातृभाषा कन्नड़ थी। उनके पिता सिंगनल्लूरु पुठस्वामय्या एक गरीब थिएटर कलाकार थे। उनकी माता का नाम लक्षम्मा था। राजकुमार जब 25 साल के उम्र में अपनी पहली प्रमुख भूमिका निभाई। इसके बाद इनका नाम राज्कुमार बन गया। अभिनेता : राजकुमार अपने पिता के साथ एक थिएटर कलाकार के रूप मेम, अपना केरियर शुरु किया। इसके बाद गुब्बी वीरण्णा ने 1954 में इनके साथ ’बेडर कण्णप्पा’ (Bedara Kannappa) फिल्म बनाई। यह फिल्म उन्हे नाम दिया। राजकुमार एक फिल्म को छोडकर अपने पूरे जीवन में सिर्फ कन्नड फिल्मों में ही अभिनय किया। उनकी अन्य भाषा फिल्म है तेलुगु भाषा की ’कालहस्ती महात्यम’ जो बेडरा कण्णप्पा की रीमेक थी। उन्होंने अपने जीवनकाल में कुल २०६ फिल्मों में काम किया है। राजकुमार अपनी ही फिल्म निर्माण कंपनी स्थापित किए, जिसका नाम वज्रेश्वरी कंबैन्स है। उनकी 100वी फिल्म भाग्यदा बागिलु’ (Bhagyada Bagilu), 200वी फिल्म ’देवता मनुष्य’ (Devatha Manushya) और शब्दवेदी (Shabdavedi) उनकी 206 और आखिरी फिल्म थी। उन्होंने अपने समकालीन कलाकार उदयकुमार और कल्याण कुमार के साथ कई फिल्मों में अभिनय किया है। वे कई अभिनेत्रियों के साथ भी काम किया है। उनमें जयंती (32 से अधिक फिल्मों में), पंडरीबाई (18 फिल्में), लीलावती (38 फिल्में), भरती (25 फिल्में), Kalpana (19 फिल्में), आरती (13 फिल्में), बी. सरोजादेवी (10 फिल्में), हरिणि (6 फिल्में), माधवी (6 फिल्में), मंजुला (7 फिल्में), जयमाला (6 फिल्में), लक्ष्मी (5 फिल्में), गीता (5 फिल्में), सरिता (5 फिल्में), जयप्रदा (4 फिल्में) और रेखा (2 फिल्में)। वे अनेक निर्देशकों के साथ भी काम किया। गायक : राजकुमार कई फिल्मों के साथ भक्तिगीत भी गाए हैं। फिल्म “जीवन चैत्र’ के नादमया (Naadamaya) गीत के लिए राष्ट्रिय फिल्म पुरस्कार मिइला है। उन्होंने 1974 में फील्म संपात्तिगे सवाल (Sampathige Sawal) के ’यारे कूगाडली’ (Yaare Koogadali), गाने से पूर्ण गायक बन गए। इससे पहले उनके फिल्मों के गीतों को पी.बी. श्रीनिवास गाया करते थे। राजकुमार कुछ अन्य अभिनेताओं के लिए अपनी आवाज दी है। निजी जीवन : राजकुमार की शादी पार्वतम्मा (Parvathamma) से हुई। राजकुमार को 5 बद्दे है। दो बेटियाँ और तीन बेटे - जिनके नाम है - शिवराज्कुमार, राघवेंद्र राजकुमार, पुनीत राजकुमार, पूर्णिमा, लक्ष्मी। शिवराजकुमार और पुनीत राजकुमार कन्नड फिल्म उद्योग में अभिनेता बन गए हैं और राघवेंद्र राजकुमार अभिनेता से निर्माता बने है। कन्नड भाषा आंदोलन : जब कन्नड भाषा की प्रधानता की माँग के कारण गोकाक आंदोलन चल रहा था, इसको मज़बूत बनाने के लिए राजकुमार को इस आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए कहा गया था। तो रजकुमार इस आंदोलन का नेतृत्व करके सारे कर्नाटक में घुमते हुए कन्नद भाषा के बारे में भाषण देने लगे। लोग इनकी एक झलक और इनके भाषण सुनने के लिए एकत्र होते थे। इस प्रकार वे कन्नड भाषा के लिए जो आंदोलन किए वह सफल बन गया। अपहरण : 30 जुलाई 2000 को राजकुमार, उसके दामाद गोविंदराजु (Govindaraju) और अन्य दो लोगों को वीरप्पन द्वारा गाजनूर के उनके घर से अपहरण कर लिया गया। मृत आतंक्वाद विरोधी कानून के तहत वीरप्पन के साथी जेल में थे उन लोगों की रिहाई की माँग की। कैद में 108 दिनों की बाद राजकुमार 15 नवम्बर 2000 पर अहानिकर जारी किया गया था। उनके अपहरण और उनकी रिहाई के लिए सुरक्षित किया गया था। जिस तरह से एक रहस्य है। मौत : राजकुमार एक हृदय की गिरफ्तारी के बाद 12 अप्रैल 2006 को सदाशिवनगर (Sadashivanagar), बेंगलूर के अपने घर में निधन हो गया। उनकी इच्छा के अनुसार उसकी आँखे दान किए थे अगले दिन दो लोगों के लिए। उनकी मृत्यु के बाद राज्यव्यापी प्रतिक्रिया उपजी, उनकी मौत की खबर के बाद एक अनौपचारिक बंद की घोषणा की थी। 1000 से अधिक वाहनों का जला दिया गया और आथ लोग पुलिस गोलिबार में मारे गए। कई लोगों ने आत्महत्या का प्रयास किया, उनमें से ज्यादातर लोगों को बचा लिया गया। पुरस्कार और सम्मान : राजकुमार को कई राज्य और राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनमे प्रमुख है - पद्मभूषण पुरस्कार, मैसूर विश्वविद्यालय से डॉक्टर की उपाधि, कर्नाटक रत्न, कर्नाटक राज्य के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, ’कन्नड फिल्मों का गहना", १९९५ में प्रतिष्टित दादा साहेब फाल्के पुरस्कार।
डॉक्टर राजकुमार | |
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१. राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
1992 - सर्वश्रेष्ट गायक - गाना, नादमया ई लॊकवेल्ला 1995 दादा साहेव फाल्के पुरस्कार 2002 - एन.टि.आर. राष्ट्रीय पुरस्कार
२. फिल्मफेयर पुरस्कार - दक्षिंण
1973 - गंदद गुडि, 1975 - मयूर, 1978 - शंकर गुरू, 1981 - कॆरलिद सिंह, 1982 - हालु-जेनु, 1985 - द्रुवतारे, 1983 - आकस्मिक, 1993 - लाइफ्टाइम अचीवमेंट पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए 10 फिल्म फेयर पुरस्कार पाए हैं।
३. कर्नाटक राज्य फिल्म पुरस्कार :
सर्वश्रेष्ठ गायक के लिए - 9 बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत के लिए - २ बार 1 बार लईफफाइम अचीव्मेंट पुरस्कार
अन्य पुरस्कार और सम्मान :- डाक टिकट और भारत के माननीय केन्द्रीय सरकार द्वारा 2009 में जारी किए गए अभिनेता का चेहरा होने के सोने के सिक्के राजकुमार की 75 से अधिक मूर्तियों सभी कर्नाटक में मौजूद है। 1976 में मैसूर विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट 1999 में हम्पी विश्वविद्यालय से नाडोजा पुरस्कार 2003 में ई टीवी कन्नडिग पुरस्कार 1985 में अमेरिका के केंटकी कर्नल के राज्यपाल द्वारा केंटकी पुरस्कार बैगलूरु के राजाजिनगर में 6 किलोमीटर सडक को "डॉ॰ राजकुमार" का नाम दिया गया।
Reference : www.annavaru.com