यह देवता न्याय क़े लिऐ बहुत खतरनाक माना जाता है। समस्त उत्तराखंड में इस देवता का मंदिर पुराने समय में लोगों ने छोटी प्राकृतिक गुफाओं में स्थापित किये है। पुराने समय में जब किसी क़े साथ अन्याय होता था तो वह इस देवता कि शरण में जाता था। जब य़ह देवता प्रताड़ित करने वाले को दंडित करता था तो प्रताड़ित करने वाले को आगे क़े नुकसान से बचने क़े लिऐ इस देवता को स्थापित करके विधि पूर्वक पूजा अर्चना करके शांत करना पड़ता था।

जागर क़े अनुसार य़ह देवता शिव के गण में शामिल था। मणि नाथ या मणि भद्र इस देवता क़े गुरू थे माँ पार्वती को मामी बताया जाता है। एक बार इन्होने अपने लिऐ चेला पैदा करने कि जिद कर दी। कैलाश पर्वत पर इनको मानने क़े कई प्रयास किये गऐ ऐसे कई बीजों क़े उदाहरण दिये गऐ जो वृक्ष पैदा नही करते। य़े देवता समूचे स्वर्गलोक में गऐ इन्द्र क़े पास गऐ पर चेला नही मिला।आखिर में सात समुद्र पार से गाय का गोबर मंगवाया जाता है उसकी गऊ मुख में 9क्यारियाँ बनाकर कार्तिक आमावस्या को बोया जाता है़ जिससे 9अन्य देवता प्रकट होते है़। इन 9 देवताओं में नरसिंह भी शामिल है़ । इस कहानी क़े बाद इस देवता का सम्बन्ध दिल्ली क़े मुगलों से जोड़ा जाता है । जंहा उनकी हलाल कि छुरी औऱ अन्य हिंसक कृत्यों का वर्णन किया जाता है

जागर गाने वाला उतेजित स्वरों में इस देवता का आवाहन करते है। जिसमें कई अन्य किस्सों का जागर में वर्णन होता है

इस देवता का फिलहाल कोई लिखित इतिहास नही है लेकिन जागर आज भी प्रचलन में है औऱ निरंतर गाये जाते है