ड्रॉ
शतरंज नियम
ड्रॉ का मतलब है किसी भी खिलाड़ी का ना जीत पाना। शतरंज में, ऐसे कई तरीके हैं जिनसे एक खेल ड्रॉ में खत्म हो सकता है। ड्रॉ शतरंज के नियम के हिसाब से माना जाता है, और इसमें स्टेलमेट (जब जिस खिलाड़ी की चाल है वो नियम के हिसाब से कोई चाल नही चल सकता लेकिन वो शह में भी नहीं है), तिहरा दुहराव (जब एक ही स्थिति तीन दफा होती है और तीनों बार एक ही खिलाड़ी की चाल है), और पचास-चाल नियम (जब दोनों खिलाड़ियों के आखिरी पचास चालों में कोई कब्ज़ा नहीं हुआ है और कोई प्यादा चलाया नहीं गया है) शामिल है। मानक फाइड नियमों के तहत, ड्रॉ एक मरी हुई स्थिति (जब कानूनी चालों के किसी भी ऑर्डर से शहमत नहीं हो सकता) में भी होता है, जो आमतौर पर दोनों खिलाड़ी के पास सामनेवाले को शहमत करने के लिए मोहरें नाकाफी होने पर होता है।[1][2][3]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ (Schiller 2003:26–29)
- ↑ (Hooper & Whyld 1992)
- ↑ (Harkness 1967)
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