तकजि शिवशंकर पिल्लै
मलयालम भाषा के उपन्यासकार और लघु कहानी लेखक
(तकाजी शिवशंकरा पिल्लै से अनुप्रेषित)
तकाजी शिवशंकरा पिल्लै (मलयालम : तकऴि शिवशंकरप्पिळ्ळ) मलयालम भाषा के विख्यात साहित्यकार थे। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास चेम्मीन के लिये उन्हें सन् १९५७ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[1]
तकजि शिवशंकर पिल्लै | |
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पेशा | साहित्यकार |
भाषा | मलयालम भाषा |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
उल्लेखनीय कामs | चेम्मीन |
साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित |
१९८४ में उन्हे ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- तकषि शिवशंकर पिल्लै का वास्तविक नाम के. के. शिवशंकर पिल्लै था।
- उनके आरंभिक शिक्षा गांव में ही हुई इसके बाद सातवीं कक्षा तक की पढ़ाई गांव से 12 किलोमीटर दूर समुद्री तट पर स्थित अंपलप्पुषा स्कूल में हुई। यहां पर अरय समुदाय से तकषि का परिचय हुआ आर्यों का जीवन यापन मतवारी से चलता था।
- 1950 में उनकी मां और उससे भी पहले पिताजी की भी मृत्यु हो गई थी।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "अकादमी पुरस्कार". साहित्य अकादमी. मूल से 15 सितंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 सितंबर 2016.