तजकिरात उल वाकियात
तजकिरात उल वाकियात पुस्तक की रचना अकबर के आदेश से हुमायूँ के सेवक जौहर आफताबची ने सन् १५८७ ई० में की थी।[1] जौहर आफताबची वर्षों तक हुमायूं की सेवा में रहा, इस कारण हुमायूँ के विषय में जानने के लिए यह ग्रन्थ प्रमाणिक माना जाता है।[2]जिन घटनाओं का वर्णन उसने किया है, उनका वह प्रत्यक्षदर्शी था। इस पुस्तक में हुमायूँ के जीवन की घटनाओं का वणॅन मिलता है। यह पुस्तक फारसी भाषा में लिखी गई थी।[3]अंग्रेज़ों के आगमन से पहले भारतीय उपमहाद्वीप में फ़ारसी भाषा का प्रयोग दरबारी कामों तथा लेखन की भाषा के रूप में होता है। दरबार में प्रयुक्त होने के कारण ही अफ़गानिस्तान में इस दारी कहा जाता है। इसमें हुमायूं द्वारा मालदेव से मिलने के प्रयासों और मारवाड़, बीकानेर और जैसलमेर के मरू क्षेत्र की कठिनाइयों का वर्णन किया गया है।[4]
सन्दर्भ
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- ↑ अरिहंत, विशेषज्ञ. RAS/RTS Manual Samanya Gyan Aur Samanya Vigyan Sanyukt Pratiyogi Prarambhik Pariksha 2022. अरिहंत प्रकाशन इंडिया लिमिटेड. अभिगमन तिथि 15 दिसंबर 2021.
- ↑ एसा।, इला नागोरी. Rajasthan Ke Itihash Ke Srot. अभिगमन तिथि 15 मार्च 2007.
- ↑ "मध्यकालीन साहित्यों का : एक अध्ययन" (PDF). अभिगमन तिथि 11 जून 2022.
- ↑ "तजकिरात-उल-वाकियात". अभिगमन तिथि 11 जून 2022.