तफ़सीरे जलालेन

कुरआन की टीका-व्याख्या (तफ़्सीर) की अरबी भाषा में पुस्तक है

तफ़सीरे जलालेन या "तफ़सीर अल-जलालैन"(अंग्रेज़ी:Tafsir al-Jalalayn) कुरआन की टीका-व्याख्या (तफ़्सीर) की अरबी भाषा में पुस्तक है, एक बहुत ही छोटी टिप्पणी है, जिसे दो प्रसिद्ध टीकाकारों, इमाम जलालुद्दीन महली (791 हिजरी - 864 हिजरी) और जलालुद्दीन सुयुति (849 हिजरी - 911 हिजरी ) ने लिखा था।

तफ़सीरे जलालेन  

तफ़सीर जलालिन लगभग पाँच शताब्दियों से लोकप्रिय है। इमाम जलालुद्दीन सुयुती की उत्कृष्ट कृतियों में तफ़सीर जलालिन का एक प्रमुख और विशेष महत्व है। यह भाष्य अपनी संक्षिप्तता और व्यापकता, सुदृढ़ता, अर्थ और व्याख्या के कारण विद्वानों और छात्रों के ध्यान का केंद्र रहा है। विषयों के सन्दर्भ में विद्वानों और ज्ञानियों का विशेष आदर होता है और बहुधा इसका अध्ययन किया जाता है। यह कुरआन की अन्य व्याख्याओं की तुलना में कुरआन की संक्षिप्त टिप्पणी और संक्षिप्त अनुवाद भी है।[1]

तफ़सीर अल-जलालयन का अंग्रेजी[2] , फ्रेंच, बंगाली , उर्दू , फारसी, मलय / इंडोनेशियाई, तुर्की और जापानी सहित कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है। दो अंग्रेजी अनुवाद हैं।

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Tafsir al-Jalalayn, Altafsir.com, accessed 16 March 2014 Archived 16 मार्च 2014 at the वेबैक मशीन
  2. al Jalalayn (2008). Quran Tafsir (al Jalalayn).