तबे एकला चलो रे

रवीन्द्र संगीत

"जदि तोर डाक शुने केउ ना आसे तबे एकला चलो रे" (बांग्ला: যদি তোর ডাক শুনে কেউ না আসে তবে একলা চলো রে ) "यदि आपकी पुकार सुनने कोई न आए तो अकेले चले जाना"[1]), सामान्यतः इसे एकला चलो रे से जाना जाता है, एक बंगाली देशभक्ति गीत है जिसे १९०५ में रबीन्द्रनाथ ठाकुर ने लिखा था।[1]

रबीन्द्रनाथ ठाकुर
"तबे एकला चलो रे"
गीत द्वारा

गीत के बोल

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एकला चलो रे का मूल पाठ:

बंगाली लिपि

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যদি তোর ডাক শুনে কেউ না আসে তবে একলা চলো রে।
একলা চলো, একলা চলো, একলা চলো, একলা চলো রে॥

যদি কেউ কথা না কয়, ওরে ও অভাগা,
যদি সবাই থাকে মুখ ফিরায়ে সবাই করে ভয়—
তবে পরান খুলে
ও তুই মুখ ফুটে তোর মনের কথা একলা বলো রে॥

যদি সবাই ফিরে যায়, ওরে ওরে ও অভাগা,
যদি গহন পথে যাবার কালে কেউ ফিরে না চায়—
তবে পথের কাঁটা
ও তুই রক্তমাখা চরণতলে একলা দলো রে॥

যদি আলো না ধরে, ওরে ওরে ও অভাগা,
যদি ঝড়-বাদলে আঁধার রাতে দুয়ার দেয় ঘরে-
তবে বজ্রানলে
আপন বুকের পাঁজর জ্বালিয়ে নিয়ে একলা জ্বলো রে।।

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देवनागरी

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जोदि तोर डाक शुने केउ ना आसे
तोबे एकला चलो रे।

एकला चलो, एकला चलो, एकला चलो रे!
जोदि केउ कोथा ना कोय, ओरे, ओरे, ओ भागा,
यदि सबाई थाके मुख फिराय, सबाई करे भय-
तबे परान खुले
ओ, तुई मुख फूटे तोर मनेर कथा एकला बोलो रे!

यदि सबाई फिरे जाय, ओरे, ओरे, ओ अभागा,
यदि गहन पथे जाबार काले केउ फिरे न जाय-
तबे पथेर काँटा
ओ, तुई रक्तमाला चरण तले एकला दलो रे!

यदि आलो ना घरे, ओरे, ओरे, ओ अभागा-
यदि झड़ बादले आधार राते दुयार देय धरे-
तबे वज्रानले
आपन बुकेर पांजर ज्वालिये निये एकला ज्वलो रे!

हिन्दी अनुवाद

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तेरी आवाज़ पे कोई ना आये तो फिर चल अकेला रे
फिर चल अकेला चल अकेला चल अकेला चल अकेला रे
ओ तू चल अकेला चल अकेला चल अकेला चल अकेला रे

तेरी आवाज़ पे कोई ना आये तो फिर चल अकेला रे
फिर चल अकेला चल अकेला चल अकेला चल अकेला रे

यदि कोई भी ना बोले ओरे ओ रे ओ अभागे कोई भी ना बोले
यदि सभी मुख मोड़ रहे सब डरा करे
तब डरे बिना ओ तू मुक्तकंठ अपनी बात बोल अकेला रे
ओ तू मुक्तकंठ अपनी बात बोल अकेला रे

तेरी आवाज़ पे कोई ना आये तो फिर चल अकेला रे

यदि लौट सब चले ओरे ओ रे ओ अभागे लौट सब चले
यदि रात गहरी चलती कोई गौर ना करे
तब पथ के कांटे ओ तू लहू लोहित चरण तल चल अकेला रे

तेरी आवाज़ पे कोई ना आये तो फिर चल अकेला रे

यदि दिया ना जले ओरे ओ रे ओ अभागे दिया ना जले
यदि बदरी आंधी रात में द्वार बंद सब करे
तब वज्र शिखा से तू ह्रदय पंजर जला और जल अकेला रे
ओ तू हृदय पंजर चला और जल अकेला रे

तेरी आवाज़ पे कोई ना आये तो फिर चल अकेला रे
फिर चल अकेला चल अकेला चल अकेला चल अकेला रे
ओ तू चल अकेला चल अकेला चल अकेला चल अकेला रे

  1. सोम, रेबा (2009). Rabindranath Tagore: The Singer and His Song [रबीन्द्रनाथ टैगोर: गायक और उनके सफल गीत] (अंग्रेज़ी में) (प्रथम संस्करण). नई दिल्ली: पेंगुइन बुक्स इण्डिया. पृ॰ 254. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-670-08248-3.