"यदि कोई रेखा अपने एक सिरे को स्थिर रखकर घूमती हुई अपनी स्थिति में परिवर्तन करती है, तो रेखा के परिक्रमण की माप को कोण कहते है। "

∠, कोण का प्रतीक

ज्यामिति में कोण (Angle) वह आकृति है जो एकबिन्दु से दो सरल रेखाओं के निकलने पर बनती है।

कोणों के चिन्ह (धन एवं ऋण) : संपादित करें

कोई भी कोण परिक्रामी रेखा (Revolving Line) द्वारा दो प्रकार से अनुरेखित किया जा सकता है -

"यदि परिक्रामी रेखा वामावर्त (Anti Clock Wise) दिशा घूमकर कोण बनाती है तो इस प्रकार से बना कोण धनात्मक (Positive) होता है। "

"यदि परिक्रामी रेखा दक्षिणावर्त(Clock Wise) दिशा घूमकर कोण बनाती है तो इस प्रकार से बना कोण ऋणात्मक (Nagative) होता है। "

धन एवं ऋण कोणों को उनकी राशियों के आगे '+' या '-' का चिह्न लगाकर प्रदर्शित किया जाता है।

कोणों के प्रकार:------

1:- शून्य कोण:- वह कोण जिसका मान 0° होता है उसे शून्य कोण कहते हैं।

2-न्यूनकोण:- जिस कोण का मान 0° से बड़ा और 90°से छोटा हो। उसे न्यूनकोण कहते हैं।

3:- समकोण:- जिस कोण का मान 90° होता है। उसे समकोण कहते हैं।

4:- अधिककोण:- जिस कोण का मान 90° से बड़ा और 180° से छोटा हो।उसे अधिककोण कहते हैं।

5:ऋजुरेखीय कोण:- जिस कोण का मान 180° हो। उसे ऋजुरेखीय कोण कहते हैं।

6:- वृहत्तकोण:- जिस कोण का मान 180° से बड़ा और 360° से छोटा हो। उसे वृहत्तकोण कहते हैं।

7:- पूर्णकोण:- जिस कोण का मान 360°हो। उसे पूर्णकोण कहते हैं।

8:- कोटिपुरक कोण या पूरक कोण:-दो कोणों का योगफल 90° हो, तो उन्हें कोटिपुरक कोण कहते हैं।

9:-सम्पूरक कोण:- दो कोणों का योगफल 180° हो, तो उन्हें सम्पूरक कोण कहते हैं।

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