तांत्रिक वाङ्मय में शाक्त दृष्टि
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तांत्रिक वाङ्मय में शाक्त दृष्टि विख्यात संस्कृत साहित्यकार महामहोपाध्याय गोपीनाथ कविराज द्वारा रचित एक शोध है जिसके लिये उन्हें सन् 1964 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[1]
तांत्रिक वाङ्मय में शाक्त दृष्टि | |
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[[चित्र:|]] तांत्रिक वाङ्मय में शाक्त दृष्टि | |
लेखक | महामहोपाध्याय गोपीनाथ कविराज |
देश | भारत |
भाषा | संस्कृत |
सन्दर्भसंपादित करें
- ↑ "अकादेमी पुरस्कार". साहित्य अकादमी. मूल से 15 सितंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 सितंबर 2016.