तालव्य व्यंजन वो व्यंजन होते हैं जिनके उच्चारण में जीभ के पिछले भाग को तालू से संघर्ष करना पड़ता है। वैदिक संस्कृत में च वर्ग के समस्त अक्षर इसी निसर्ग के हैं।जैसे कि  : "च" "छ" "ज" "झ" "ञ"। हिन्दी में इन अक्षरों को पश्वर्त्स्य स्पर्शसंघर्षी व्यंजनों के लिए प्रयोग किया जाता है जोकि पूर्ण रूप से तालव्य नहीं हैं। स्मरण रहे कि बिन्दु वाले अक्षर भी इसी श्रेणी से संबंधित हैं। जैसे कि "च़" का उच्चारण "tch" के समान होगा, ठीक वैसे ही "छ़' की ध्वनि "tchh" जैसी होगी। और ये दोनों अक्षर विदेशी भाषा की ध्वनियों को दर्शाने के लिए प्रयुक्त होते हैं। साथ ही साथ ध्यान देने की आवश्यकता है कि "ज़" या "झ़" तालव्य ध्वनियाँ नहीं हैं बल्कि यह "ऊष्म ध्वनियाँ" मानी जाती हैं।