तीन चक्का गाड़ी एक प्रकार का लकड़ी से बना तीन पहियों वाला खिलौना है। इसका इस्तेमाल बच्चों द्वारा खेलने में किया जाता है। इसकी उपयोगिता भी इस बात से सिद्ध की जा सकती है कि इस खिलौने का इस्तेमाल छोटे बच्चे को चलने में सिखाने के लिए भी होता है।

ग्रामीण परिवेश में आज भी आधुनिक खिलौनों की सीमित पहुंच है। ऐसे में गांव के लोग अपने बच्चों को वही खिलौने उपलब्ध करा पाते हैं जिन तक उनकी पहुंच है या जिन्हें वह खुद भी बना सकते हैं।

तीन चक्का गाड़ी जैसे खिलौने को सामान औजारों की मदद से घर में भी बनाया जा सकता है। यह तीन पहियों का खिलौना या गाड़ी है। जिसके तीनों पहिए भी लकड़ी के बने होते हैं। कुछ सीमित लंबाई वाली लकड़ियों को व्यवस्थित ढंग से सजाकर आसानी से लहडुआ का निर्माण किया जा सकता है।

आज के आधुनिक परिदृश्य में इसकी पहुंच बाजारों तक है। पर बदलते स्वरूप में अब एल्यूमीनियम या स्टील जैसी धातु से बना तथा रबड़ के पहियों से रोजमर्रा के बाजारों में भी उपलब्ध है। जबकि पहले यह मेलों में ही देखने को मिलता था। आधुनिकता की छाप इस ग्रामीण परिवेश के खिलौनों पर भी है।

प्राय: वे बच्चे जो कि जन्म के बाद कुछ साल बीत जाने के बाद चलना नहीं सीख पाते हैं। उन बच्चों को यह खिलौना दिया जाता है। उस खिलौने की मदद से बच्चे जल्दी चलना सीख जाते हैं। ग्रामीण परिवेश में आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। और कम लागत में तैयार हो जाते से यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।

विभिन्न क्षेत्रों में यह भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है, (लहडुआ, गाढ़ा या तीन पहिए वाली लकड़ी की गाड़ी या लकड़ी की 3 चाका गाड़ी)बच्चों के लिए अति उपयोगी खिलौना साबित होने की वजह से इसकी मांग भी बढ़ी है।

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