तुलजा भवानी हिन्दू देवी दुर्गा का ही एक रूप माना जाता है। इनके मुख्य एवं प्रसिद्ध मंदिर भारत में महाराष्ट्र के उस्मानाबाद में तुलजा भवानी मंदिर, उस्मानाबाद तथा एक चित्तौढ़गढ़ में तुलजा भवानी मंदिर, चित्तौढ़गढ़ स्थित है।शिव की पत्नी पार्वती (दुर्गा) का एक नाम भवानी है।भव अर्थ शिव है। भव की पत्नी भवानी (पार्वती) है |

तुलजा भवानी
शक्ति / विजय
संबंध शक्ति अवतार
निवासस्थान तुलजा भवानी मन्दिर
अस्त्र त्रिशूल,दैत्य का सिर चक्र,
गदा, धनुष,
पाश, अंकुश,
जीवनसाथी शिव
सवारी बाघ

कथा संपादित करें

कृतयुग में करदम नामक एक ब्राह्मण साधु थे, जिनकी अनुभूति नामक अत्यंत सुंदर व सुशील पत्नी थी। जब करदम की मृत्यु हुई तब अनुभूति ने सती होने का प्रण किया, पर गर्भवती होने के कारण उन्हें यह विचार त्यागना पड़ा तथा मंदाकिनी नदी के किनारे तपस्या प्रारंभ कर दी। इस दौरान कूकर नामक राजा अनुभूति को ध्यान मग्न देखकर उनकी सुंदरता पर आसक्त हो गया तथा अनुभूति के साथ दुष्कर्म करने का प्रयास किया। इस दौरान अनुभूति ने माता से याचना की और माँ अवतरित हुईं। माँ के साथ युद्ध के दौरान कूकर एक महिष रूपी राक्षस में परिवर्तित हो गया और महिषासुर कहलाया। माँ ने महिषासुर का वध किया और यह पर्व ‘विजयादशमी’ कहलाया। इसलिए माँ को ‘त्वरिता’ नाम से भी जाना जाता है, जिसे मराठी में तुलजा भी कहते हैं।

देवी का रूप संपादित करें

शालीग्राम पत्थर से निर्मित यह मूर्ति वस्तुतः स्वयंभू मूर्ति मानी जाती है। इस मूर्ति के आठ हाथ हैं, जिनमें से एक हाथ से उन्होंने दैत्य के बाल पकड़े हैं तथा दूसरे हाथों से वे दैत्य पर त्रिशूल से वार कर रही हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि माता महिषासुर राक्षस का वध कर रही हैं। माता की दाहिनी ओर उनका वाहन सिंह स्थापित है। इस प्रतिमा के समीप ऋषि मार्कंडेय की प्रतिमा स्थापित है, जो पुराण पढ़ने की मुद्रा में है। माता के आठों हाथों में चक्र, गदा, त्रिशूल, अंकुश, धनुष व पाश आदि शस्त्र सुसज्जित हैं।

इन्हें भी देखें संपादित करें