तृतीय आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध

1919 मे अफगानिस्तान और ब्रिटेन के बीच हुआ युद्ध

तृतीय आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध की परिणति अफ़ग़निस्तान की स्वतंत्रता मे हुई। 1917 की रूस की क्रांति के बाद रूस और ब्रिटेन साथी नही रहे। अफ़ग़ानो ने ब्रिटिश सेना पर अचानक हमला बोल दिया। हलांकि ब्रिटिशों ने हवाई आक्रमण का सहारा लिया और राजा तक के महल पर बमबारी की। इससे अफ़गानिस्तान की जनता में भारी रोष उत्पन्न हुआ। अंततः 1921 में अफ़ग़ानिस्तान स्वाधीन हो गया।

तृतीय आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध
the Interwar Period का भाग
Soldiers in action at Kohat during the Third Anglo-Afghan War.jpg
Soldiers in action at Kohat during the Third Anglo-Afghan War
तिथि 6 May – 8 August 1919
स्थान North-West Frontier of the British India and Afghanistan
परिणाम Treaty of Rawalpindi
  • Afghan independence from the British Raj [1][2][3]
योद्धा

 Afghanistan

United Kingdom
सेनानायक
शक्ति/क्षमता
50,000 man standing army supported by up to 80,000 tribesmen 8 divisions
5 independent brigades
3 cavalry brigades, plus a number of modern aircraft, armoured cars and artillery
मृत्यु एवं हानि
1,000 to 1,200 killed. Estimated 3,000 wounded.[4][5] 236 killed and 1,500 wounded[4][6]
काबुल के स्वर्गीय राजा शाह शुजा उल मुल्क के महल की आंतरिक भाग।
काबुल के स्वर्गीय राजा शाह शुजा उल मुल्क के महल की आंतरिक भाग।

इन्हें भी देखें

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  1. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; diplomat नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  2. Lansford 2017, पृ॰ 146.
  3. "Foreign Relations of the United States, 1952–1954, Africa and South Asia, Volume XI, Part 2". Office of the Historian. अभिगमन तिथि 20 March 2020. the Durand Line was demarcated by Sir Mortimer Durand and accepted by Afghanistan and British India as the territorial boundary by agreement signed on November 12, 1893. It was confirmed by the Amir Habibullah in 1905; in the Anglo-Afghan Treaty of Peace of August 8, 1919 and the Anglo-Afghan Treaty of Friendship of November 22, 1921
  4. Lansford 2017, पृ॰ 49.
  5. "Third Anglo-Afghan War 1919". OnWar.com. मूल से 6 अप्रैल 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 July 2010.
  6. Molesworth 1962, पृष्ठ vii