तिरमिज़

उज़बेकिस्तान देश के दक्षिणी भाग में स्थित सुरख़ानदरिया प्रान्त की राजधानी
(तेरमेज से अनुप्रेषित)
तिरमिज़
Termiz / Термиз
तिरमिज़ is located in Uzbekistan
तिरमिज़
तिरमिज़
उज़बेकिस्तान में स्थिति
सूचना
प्रांतदेश: सुरख़ानदरिया प्रान्त, उज़बेकिस्तान
जनसंख्या (२००५): १,४०,४०४
मुख्य भाषा(एँ): उज़बेक
निर्देशांक: 37°13′N 67°17′E / 37.217°N 67.283°E / 37.217; 67.283

तिरमिज़ (उज़बेक: Термиз, तेरमिज़; अंग्रेज़ी: Termez) मध्य एशिया के उज़बेकिस्तान देश के दक्षिणी भाग में स्थित सुरख़ानदरिया प्रान्त की राजधानी है। यह उज़बेकिस्तान की अफ़्ग़ानिस्तान के साथ सरहद के पास प्रसिद्ध आमू दरिया के किनारे बसा हुआ है। इसकी आबादी सन् २००५ में १,४०,४०४ थी।

सुल्तान साओदात का महल

शहर का नाम

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'तिरमिज़' के नाम की उत्पत्ति को लेकर विद्वानों में मतभेद है। कुछ समझते हैं कि यह सिकंदर महान के ज़माने में यूनानी भाषा के 'थ़ेरमोस​' (θέρμοσ, thermos) शब्द पर रखा गया, जिसका मतलब 'गरम' है। दूसरो के अनुसार यह संस्कृत के 'तरमतो' (तर्मतो) शब्द से आया है जिसका मतलब 'नदी के तीरे' (यानि आमू दरिया के किनारे) है।[1]

यह मध्य एशिया और भारत के बीच का एक बहुत ही महत्वपूर्ण शहर रहा है जहाँ से इन दोनों के दरमियान भारी व्यापार और सांस्कृतिक अदला-बदली चलती आई है। आज भी यहाँ आमू दरिया के ऊपर 'उज़्बेक-अफ़्ग़ान मित्रता पुल' बना हुआ है जो समरक़न्द को बल्ख़ से जोड़ता है और यही मार्ग दक्षिण दिशा में आगे जाकर भारतीय उपमहाद्वीप में दाख़िल होता है। यहाँ प्राचीनकाल में कुषाण साम्राज्य फैला हुआ था जिसकी दो राजधानियाँ मथुरा और पेशावर थीं। उस ज़माने में बौद्ध धर्म इस पूरे क्षेत्र का राजकीय धर्म था और यहाँ बौद्ध-धर्म सम्बंधी बहुत से शिल्प-निर्माण और अन्य अवशेष मिलते हैं।[2] यह पूर्व दिशा में उत्तरी रेशम मार्ग के ज़रिये पूर्वी तुर्किस्तान (आधुनिक शिनजियांग) और चीन से भी जुड़ा हुआ था।

७वीं और ८वीं सदियों में यहाँ अरब हमलावर आये और इस क्षेत्र में इस्लाम फैल गया। समय के साथ यह सूफ़ी विचारधारा का एक महत्वपूर्ण केंद्र बना। अल-तिरमिज़ी (ترمذی‎) यहाँ की 'बाग़' नामक बस्ती में पैदा हुए एक मशहूर धार्मिक लेखक व चिंतक थे जिन्हें 'हाकिम-ए-तिरमिज़ी' और उज़बेक भाषा में 'तिरमिज़ ओता' (यानि 'तिरमिज़ का पिता') भी कहा जाता है।

१९वीं सदी में रूसी साम्राज्य का उज़्बेकिस्तान पर क़ब्ज़ा हो गया और १८९७ में यहाँ रूसी छावनी और क़िला बनने के बाद तिरमिज़ शहर का आधुनिकरण हुआ। १९७९ से १९८९ में जब सोवियत संघ की अफ़्ग़ानिस्तान में सैनिक गतिविधि जारी थी तो तिरमिज़ इन दोनों के बीच एक महत्वपूर्ण यातायात केंद्र के रूप में भी कुछ समय के लिए व्यस्त था।[3]

तिरमिज़ के कुछ नज़ारे

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इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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  1. Usbekistan: Entlang der Seidenstraße nach Samarkand, Buchara und Chiwa, Judith Peltz, Trescher Verlag, 2010, ISBN 978-3-89794-174-8, ... Stadtgeschichte Der Name ›Termiz‹ wird aus dem Sanskrit-Wort Taramato ›Ort hinter dem Fluss‹ abgeleitet (नगर का इतिहास ›तेरमिज़‹ संस्कृत शब्द तरमतो ›नदी के किनारे वाली जगह‹ से विकसित) ...
  2. Archaeology in Soviet Central Asia, Grégoire Frumkin, Brill Archive, 1970, ... Situated on the road from Balkh to Samarkand, it was an important halting place on the caravan route from India and Afghanistan to Eastern Turkestan and China ...
  3. Afghanistan: The Soviet Union's Last War, Mark Galeotti, Taylor & Francis, 2001, ISBN 978-0-7146-8242-6, ... a massive exercise in logistics and administration, the largest since the Great Patriotic War and the most sophisticated in Soviet history ... Land convoys were routed in through transshipment depots at Termez and Kushka and typically numbered 100-300 vehicles ...