भारत के तेरहवें वित्त आयोग गठन 13 नवम्बर, 2007 को किया गया था। इसके अध्यक्ष विजय एल केलकर थे। इसकी पूरभावी समयावधिः 1 अप्रैल, 2010 से 31 मार्च, 2015 थी। आयोग ने 30 दिसम्बर, 2009 को राष्ट्रपति को रिपोर्ट प्रस्तुत की।

सदस्यगणः
  • सुमीत बोस (सचिव)
  • बी-के- चतुर्वेदी,
  • इन्द्रा राजारमन,
  • अतुल शर्मा
  • संजय मिश्रा

आयोग की मुख्य अनुसंशाएँ संपादित करें

तेरहवें वित्त आयोग की मुख्य अनुसंशाओं (सिफारिशों) को निम्नलिखित बिन्दुओं के द्वारा रेखांकित किया जा सकता हैः

1. विभिन्न केंद्रीय करों को निवल प्राप्तियों में राज्यों का हिस्सा संचार की अवधि के प्रत्येक वर्ष के लिए 32 प्रतिशत होगा अब तक यह 30.5 प्रतिशत था।

2. केंद्र सरकार के विभिन्न करों की निवल प्राप्तियों में से 32 प्रतिशत प्राप्तियां राज्यों को जाएगी।

3. राजस्व खाते पर राज्यों को समग्र अंतरणों पर निदिष्टात्मक सीमा केंद्र की सकल राजस्व प्राप्तियों के 39.5 प्रतिशत पर नियत की जाए।

4. मध्याविधिक राज्यकोषीय योजना एक आशय विवरण के बजाए प्रतिबद्धता का वितरण होना चाहिए।

5. कर, व्यय सरकारी निजी भागीदारी, देयताओं तथा प्राप्तियों एवं व्यय अनुमानों के अंतर्हित परिवर्तियों के ब्योरों सहित बजट। एफ.एफ.टी.पी. के लिए नए प्रदान विनिर्दिष्ट किए जाए।

6. वित्तीय विनियमन एवं बजट प्रबंध अधिनियम में उन प्रघातों के स्वरूप को निदिष्ट किया जाना आवश्यक है जिनके लिए उसके तहत लक्ष्यों में ढील दिया जाना आवश्यक होगा।

7. ऐसी आशा की जाती है कि राज्य वर्ष 2011-12 तक अपने राजकोषीय सुधार मार्गपर वापस आने मे असमर्थ हो जाएंगे, इसलिए वे अपने-अपने एफ.आर.टी.एम. अधिनियमों में यथानुसार संशोधन करें।

8. राज्य सरकारें सामान्य निष्पादन अनुदान के लिए तथा विशेष क्षेत्र निष्पादन अनुदान के उसी दशा में पात्र होंगी जब वे स्थानीय अनुदानों के अर्थ में निहित निर्धारित शर्तों का पालन करती है।

9. राष्ट्रीय विपदा आकस्मिकता विधि को राष्ट्रीय आपदा विधि में विलयित कर दिया जाए।

10. उसी प्रकार राज्यों की विपदा राहत निधि को संबंधित राज्य की आपदा अनुक्रिया निधि में विलयित कर दिया जाए।

11. आठ राज्यों के लिए पंचाट अवधि (2010-15) में 51800 करोड़ रूपये का कुल आयोजना भिन्न राजस्व अनुदान अनुशासित किया गया है। विशेष श्रेणी के तीन राज्यों जो आयोजन भिन्न राजस्व घाटे की स्थिति से उबरे हैं, के लिए 1500 करोड़ रूपये का निष्पादन अनुदान अनुशासित किया गया है।

12. वर्ष 2011-12 से 2014-15 के चार वर्षों के लिए सड़कों व पुली के अनुरक्षण अनुदान हेतु 19930 करोड़ रूपये की राशि की अनुशंसा।

13. प्रांरभिक शिक्षा के लिए अनुदान राशि 24068 करोड़ रूपये की अनुशंसा।

14. राज्य विशिष्ट आवश्यकताओं के लिए 27945 करोड़ रूपये के अनुदान की अनुशंसा।

15. वन, अक्षय ऊर्जा तथा जल क्षेत्र प्रबंधन अनुदानों के रूप में 5000 करोड़ रूपये अनुदान की अनुशंसा।

16. राज्यों की सहायता अनुदान के रूप में पंचाट अवधि के लिए 31,8581 करोड़ रूपये की कुल राशि अनुशंसित की गई है।

इस तरह तेरहवें वित्त आयोग की सिफारिशों से 2010-11 से 2014-15 की पांच वर्षों की अवधि में राज्यों को केंद्रीय करों एवं शुल्कों के हिस्से के रूप में कुल 1448096 करोड़ रूपये तथा सहायता अनुदान के रूप में 258581 करोड़ रूपये अर्थात् कुल 1706677करोड़ रूपये प्राप्त होने का अनुमान था।