ये नेपाल की सेना के वरिष्ठ अधिकारी थे। इनपर मानवाधिकार हनन के गंभीर आरोप लगे थे। सेना द्वारा दी गई पदोन्नती के खिलाफ एक जनहित याचिका पर कार्यवाई करते हुए नेपाल की सर्वोच्च न्यायालय ने इनकी पदोन्नति पर रोक लगा दी थी।

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