तोरोइड
यह एक वृताकार खोखला छल्ला होता है जिस पर किसी तार के अत्यधिक फेरे पास-पास सटाकर लपेटे जाते हैं। इसे एक ऐसी परिनालिका के रूप में भी देखा जा सकता है जिसे बंद करके एक वृताकार मोड़ दिया गया है। मान लीजिए टोरॉइड पर लगते हुए दांत से I विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। हम यह देखेंगे कि टोरॉइड के भीतर खुले स्थान में तथा टोरॉइड कि बाहर चुंबकीय क्षेत्र शून्य है। किसी आदर्श टोरॉइड जिसके फेरे सटाकर लिपटे होते हैं , के लिए टोरॉइड के भीतर चुंबकीय क्षेत्र B नियत रहता है।
चित्र में टोरॉइड की अनुप्रस्थ काट दर्शाई गई है। वृत्ताकार - पाशो के लिए दक्षिण हस्त नियम के अनुसार टोरॉइड के भीतर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा दक्षिणावर्त है। खंडित रेखाएं जिन पर 1 , 2 , 3 अंकित है , इसके 3 एंपियर- पाश है। सममिति के अनुसार चुंबकीय क्षेत्र इन पाशो में प्रत्येक के स्पर्श रेखीय होना चाहिए तथा प्रत्येक पाश के लिए इसका परिमाण नियत होना चाहिए। पाश 2 तथा 3 इन दोनों द्वारा घेरे गए वृत्ताकार क्षेत्र टोरॉइड को काटते हैं ; इस प्रकार विद्युत धारावाही तार को प्रत्येक फेरा पाश 2 को एक तथा पाश 3 को दो बार काटता है। अब हम यह दर्शाएंगे की इसी प्रकार Q पर भी चुंबकीय क्षेत्र शून्य हैं। मान लीजिए पाश 3 के अनुदिश चुंबक क्षेत्र B3 है। एक बार फिर एंपियर के नियम के अनुसार L = 2πr3 , तथापि अनुप्रस्थ काट से हम यह देखते हैं कि कागज के तल के बाहर निकलती विद्युत धारा कागज के तल के भीतर जाती विद्युत धारा से ठीक-ठीक निरसित हो जाती है। अतः Ie = 0 , तथा B3 = 0 | मान लीजिए टोरॉइड के भीतर चुंबकीय क्षेत्र B है। अब हम S पर चुंबकीय क्षेत्र के बारे में विचार करेंगे। एक बार फिर हम एंपियर के नियम का उपयोग करते हैं। हम पाते हैं कि L = 2πr