तोर्रे देन गलमेस (जिसे स्पेनी भाषा में Torre d'en Galmés लिखा जाता है, एक तालायोती स्थल है। यह मिनोरका (Minorca) टापू पर अलैऑर (Alaior) और सोन बू, मिनोरका (Son Bou, Minorca) के बीच में है। इस नगर को तालायोती दौर के प्रारंभ 1400 ईसा पूर्व से विकास के मार्ग पर रखा गया था। यह सिलसिला रोमन क़ब्ज़े के दौरान भी जारी रहा था। इसके पश्चात इस नगर का पतन होने लगा और यहाँ से लोग चले गए थे। इसके बाद यहाँ पर मुस्लिम शर्नार्थियों ने यहाँ की इमारतों पर अपना क़ब्ज़ा जमाया था। इसका कारण यह था कि स्पेन और इस टापू पर से मुस्लिम क़ब्ज़ा हटाकर ईसाई राज्यों ने अपना झंडा लगा दिया था।

तोर्रे देन गलमेस का एक दृश्य उत्तरी दिशा से
तोर्रे देन गलमेस जिसके ऊपर तालायोत है।

यह नगर एक छोटी-सी पहाड़ी पर स्थित है जिसकी ढलान दक्षिण की ओर अधिक है। इस स्थान से दक्षिण तट के एक बड़े-से हिस्से को ([[मयोरका की पड़ियों तक को) साफ़ तौर पर देखा जा सकता है। एक नगर के रूप में इसका अधिक विस्तार दक्षिण की ओर किया गया था। यहाँ पर पहाड़ी पर से आ रहे पानी के चश्मे से पानी जमा करने की एक बहुत ही अच्छी प्रणाली निकाली थी।

यह नगर बेलिआरिक टापुओं में सबसे बड़ा था। इसका स्थान आसपास के नगर से कहीं अधिक दायरा घेरे हुआ था।

तोर्रे देन गलमेस में तीन प्रकार के तालायोत हैं। इन पत्थर के टावरों से आसपास के गाँवों और हरयाली को अच्छे से देखा जा सकता है। इनकी स्थिति देख-रेख के टावर जैसी है। बीच के टावर और पश्चिमी टावर के बीच खुली जगह जो कि शायद एक जन-सामान्य के इकट्ठे होने के लिए चौक का काम देता था।

इन तालायोत के अतिरिक्त यहाँ पर रक्षा की दीवारों के अवशेष पाए गए हैं। शहर के कोनों बसे घरों की दीवारें क़िलों जैसी मज़बूत हुआ करती थीं।

यहाँ पर उस समय एक घोड़े के जूते की शक्ल का बंद इलाक़ा था जिसके साथ मिनोरका का तौला जुड़ा हुआ था। यह अंग्रेज़ी अक्षर T की शक्ल का पत्थर का स्मारक था जिसके बारे में अनुमान है कि यह एक धार्मिक स्थल का प्रतिनिधित्व करता है। तौला रोम के दौर में ठीक-ठाक रहा था। मगर अब लगता है कि सबसे ऊपर का पत्थर अब अलग हो चुका है और यह प्रवेश द्वार और लम्बे खड़े स्तंभ के बीच आ गया है। महराब और उसके इर्द-गिर्द दो चरणों में निर्माण किया गया था। हालांकि बड़े पत्थरों का अपयोग किया गया है लेकिन यह पत्थर नर्म और मुलायम हैं।.

 
घर के अन्दर का भाग

तालायोती घर अपने पारम्परिक गोलाईदार अन्दाज़ में बनाए जाते थे। बाहर् की दीवार बड़े पत्थरों से बनाई जाती थी जिसमें दीवार के बीच का भाग विभिन्न कमरों और केन्द्रीय खुली जगह का निर्माण होता था।

नगर के दक्षिण में गोलाईदार इमारतों में एक के पास संरक्षित किया गया "साला हिपोस्तिला" (कॉलमों की जगह) घर के कोने से लगा है। समुद्र के पत्थर छत तक फैले हुए हैं। कॉलम मेडिटरेनियन शैली में है। यह स्मारिक ऊपर से चौड़ा है। समझा जाता है कि यह सामान या मवेशी रखने के काम आता था।
 
Rainwater conservation system

नगर के दक्षिण में एक संरक्षित और उल्लेखनीय पानी के बचाने की प्रणाली है। इसकी योजना ऐसी थी कि धर्ती के अंदर के चश्मों को एक दूसरे से जोड़कर पनी को संरक्षण सम्भव हो सके। कम से कम एक गुफा जिसे धार्मिक रूप से अंतिम संस्कार के लिए प्रयोग में लाया था, पानी को बचाने के काम में लाया जाता था। .[1]

मिट्टी को पानी से साफ़ करने के लिए एक स्वछिकरण प्रणाली का प्रयोग होता था जिसमें पत्थ्रर से भरे कनकॅविटीज़ (concavities) का इस्तेमाल होता था।

कलाकृतियाँ

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विभिन्न कलाकृतियाँ जो इस स्थल से पाई गई हैं उनमे इमहोतेप की एक छोटी प्रतिमा है, प्राचीन मिस्र का वह धार्मिक प्रचलन जो पूरे मेडिटेरियन तक फैल चुका था। [2]

  1. ROSSELLÓ-BORDOY, G. (1986): El poblado prehistórico de Torre d’en Gaumes (Alaior), Palma de Mallorca: Institut d’Estudis Baleàrics
  2. "संग्रहीत प्रति" (PDF). मूल (PDF) से 3 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जून 2020.

बाहरी कड़ियाँ

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इन्हें भी देखें

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निर्देशांक: 39°54′09″N 4°06′55″E / 39.902395°N 4.115174°E / 39.902395; 4.115174