तोलोङ सिकि एक लिपि है। वर्तमान में यह झारखण्ड राज्य के कुँड़ुख़ (उराँव) नामक आदिवासी समाज द्वारा अपने पठन-पाठन में शामिल किया गया है तथा इसे झारखण्ड अधिविद्य परिषद, राँची के विज्ञप्ति संख्या 17/2009 दिनांक 19.02.2009 के द्वारा 10वीं की परीक्षा में कुँड़ुख़ (उराँव) भाषा पत्र का उत्तर अपनी लिपि तोलोङ सिकि के माध्यम से लिखने की अनुमति प्रदान की गई है।

यह डॉ नारायण उराँव "सैन्दा" एवं उनके सहयोगियों का लगभग 20 वर्षों के अनवरत प्रयास का प्रतिफल है। इसे आदिवासी भाषा एवं संस्कृति के विकास एवं संरक्षण हेतु विकसित किया गया है। इसके प्रारूपण में आदिवासी परम्परा, संस्कृति, वेषभूषा, नेगचार, चित्रकारी, गणितीय चिह्न आदि को आधार बनाया गया है तथा आधुनिक विज्ञान एवं तकनीक की मान्यताओं के आधार पर सजाया-सवाँरा गया है जिससे यह आधुनिकतम कम्प्यूटर तकनीक में खरा उतर सके।[1]

  1. "तोलोङ सिकि – एक परिचय". मूल से से 2 नवंबर 2016 को पुरालेखित।. अभिगमन तिथि: 24 जून 2017. {{cite web}}: Check date values in: |archive-date= (help)

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