त्रिनेत्र (बहुविकल्पी)
भगवान शिव का त्रिनेत्र: भारतीय मनीषियों ने धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चार पुरुषार्थो में मोक्ष को सर्वश्रेष्ठ माना है। इस मोक्ष को प्राप्त करने का एकमात्र साधन धर्म है। जीवन के सत्य का अन्वेषण ही ऋषियों का धार्मिक चिंतन है। धर्म जीवन है और जीवन धर्म है।
धर्म जीवन को धारण करता है और जीवन धर्म को। जहां जीवन है, वहां किसी न किसी प्रकार धर्म है। धर्म के अभाव में जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। धर्म की निंदा करने वाला सबसे अधिक धार्मिक होता है, क्योंकि वह अपने धर्म की स्थापना करना चाहता है।