थपलियाल
थपलियाल जाति के लोग गढ़वाल कुमाऊँ और नेपाल में मौजूद है । ये सरोला ब्राह्मण हैं ।[1] 1200 साल पहले तत्कालीन छोटे गढ़वाल साम्राज्य में सरोला ब्राह्मण सबसे प्रारंभिक प्रमाणित ब्राह्मण जातियाँ थीं। इस राज्य की राजधानी चाँदपुर गढ़ी थी और राजधानी के आसपास के बारह गाँवों में ब्राह्मणों की बारह जातियाँ बसी हुई थीं। इस ब्राह्मण गुट में से प्रत्येक के अपने कुलदेवता या कुलदेवी हैं। संवत 980 में थपलियाल सरोला गौड़ ब्राह्मण जाति के लोग चांदपुर के थापली नामक गांव में आकर बस गए। थपलियाल जाति के लोग चांदपुर गढ़ी के अलावा देवलगढ़, श्रीनगर और टिहरी में भी प्रसिद्ध रहे हैं।[2] ये राजपुरोहित, शाही ज्योतिषी, पुजारी, रसोइया, गुरु और शाही सलाहकार के रूप में बसे। इसके साथ ही उन्हें गढ़वाल के राजा द्वारा शुभ अवसरों और शाही अवसरों पर भोजन पकाने का कार्य भी सौंपा गया, इस प्रकार उन्हें "सरोला" (रसोइया के लिए गढ़वाली) नाम दिया गया। इन बारह गाँवों को सामूहिक रूप से "बारा थान" अर्थात "बाराह स्थान" के नाम से जाना जाता था।[3][4]
- ↑ Saklani, Atul (1987). The History of a Himalayan Princely State: Change, Conflicts, and Awakening: an Interpretative History of Princely State of Tehri Garhwal, U.P., A.D. 1815 to 1949 A.D. Durga Publications. पपृ॰ not specified. OCLC 17918157.
- ↑ "History of Brahmin Castes in garhwal". DevBhoomiSamvad. अभिगमन तिथि 16 September 2023.
- ↑ Ram, Pati (1916). Garhwal: Ancient and Modern. Army Press. पपृ॰ 82–83 – वाया Google Books.
- ↑ Gerald Duane Berreman (1972). Hindus of the Himalayas Ethnography and Change. University of California Press. पृ॰ 183. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780520014237 – वाया Google Books.