थाईलैंड का इतिहास (1973–2001)

1973 से 2001 तक का थाईलैंड का इतिहास अस्थिर लोकतंत्र का एक दौर था, जिसमें 1976 के खूनी तख्तापलट के बाद फिर से सैन्य शासन लागू किया गया। (पहले सैन्य शासकों को 14 अक्टूबर 1973 की क्रांति के परिणामस्वरूप हटा दिया गया था।)

20वीं सदी के अंत में थाईलैंड
14 अक्टूबर 1973 – 6 जनवरी 2001
14 अक्टूबर 1973 के विद्रोह के दौरान लोकतंत्र स्मारक पर रैली करती भीड़
Preceded by20वीं सदी की शुरुआत
Followed by21वीं सदी
Monarch(s)भूमिबोल अदुल्यादेज (रामा नौवें)
Leader(s)
  • सान्या धर्मशक्ति
  • सेनी प्रमोज
  • कुकरित प्रमोद
  • थानिन क्राइविचियन
  • क्रिआंग्सक चमनन
  • प्रेम तिन्सुलानोंदा
  • चतिचाई चूनहवान
  • आनंद पन्याराचुन
  • सुचिंदा क्रप्रयूं
  • चुआन लीकपाई
  • बन्हार्न शिल्पा-आर्चा
  • चवालित योंगचैयुध

1980 के दशक के अधिकांश समय के लिए, थाईलैंड के प्रधानमंत्री प्रेम तिनसुलानोंडा द्वारा शासित था, जो लोकतांत्रिक झुकाव रखने वाले एक सशक्त नेता थे, जिन्होंने संसदीय राजनीति को बहाल किया। इसके बाद, देश 1991 से 1992 की संक्षिप्त अवधि को छोड़कर, एक लोकतंत्र बना रहा।

1985 से 1994 के बीच, विश्व बैंक के अनुसार, थाईलैंड दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था था।[1] जापान से आने वाले विदेशी निवेश ने 20वीं सदी के अंत तक थाईलैंड को दक्षिणपूर्व एशिया में एक विनिर्माण केंद्र में बदल दिया।[2]

1997 के एशियाई वित्तीय संकट का चरम 2001 के थाई आम चुनाव में लोकप्रिय थाक्सिन शिनवात्रा की जीत में देखा गया।[3]

इन्हें भी देखें

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  1. Phongpaichit, Pasuk (1996). "THE THAI ECONOMY IN THE MID-1990s". Southeast Asian Affairs: 369–381. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0377-5437.
  2. Chris, Baker (25 August 2022). A History of Thailand (English में) (4th संस्करण). Cambridge University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-009-01483-0.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  3. Chris, Baker (25 August 2022). A History of Thailand (English में) (4th संस्करण). Cambridge University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-009-01483-0.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)