हिमाचल प्रदेश में स्थित यह जगह सेब के उद्यानों के लिए प्रसिद्ध है। यह स्‍थान शिमला से 80 किलोमीटर दूर पुराने भारत-तिब्‍बत रोड पर स्थित है। इसका हिमाचल के इतिहास में एक विशेष स्‍थान रहा है। 1916 ई. में सैमुअल स्‍टोक जोकि फिलाडेल्‍फिया के एक सामाजिक कार्यकर्ता थे, पहली बार यहां सेब का छोटा सा वृक्ष लेकर आए थे। बाद में वह यहीं के होकर रह गए। यहां अभी भी उनके लगाए उद्यान स्‍टारकिंग डिलेसियस' को देखा जा सकता है।

थानाधार-सेब के उद्या

मुख्य आकर्षण संपादित करें

बरोबाग हिल संपादित करें

यह थानेदर की सबसे ऊंची चोटी है। यहां पर एक बड़ा सा मैदान है इसलिए इस पहाड़ी का नाम बरोबाग पड़ा। यहां से वर्फाच्‍छादित पहाड़ों का सुंदर नजारा दिखता है। इस पहाड़ी से सतलज नदी भी दिखती है।

पहाड़ी पर एक हारमनी हॉल है। यह हॉल तिमंजिला है। इसका निर्माण 1912 ई. में हुआ था। यह भवन पत्‍थर, लकड़ी तथा स्‍लेट का बना हुआ है। यहां पर परमज्‍योर्तिर मंदिर भी है। इसकी स्‍थापना 1937 ई. में हुई थी। इस मंदिर में किसी देवता की मूर्त्ति स्‍थापित नहीं है। इस मंदिर की दीवारों पर संस्‍कृत भाषा में श्‍लोक लिखे हूए हैं।

कोतघर संपादित करें

19वीं शताब्‍दी के प्रारम्‍भ में कोतघर युद्ध का मैदान था। ये युद्ध नेपाल, कांगड़ा, कुल्‍लु, पंजाब के शासकों तथा बाद में ईस्‍ट इंडिया कंपनी से हुआ। अंतत: 1843 ई. में गोरखों को हराकर ईस्‍ट इंडिया कंपनी ने इसे अपने कब्‍जे में कर लिया। 1843 ई. में यहां गार्टन मिशन स्‍कूल स्‍थापित किया गया। 1872 ई. में इसी स्‍कूल के पास संत मेरी चर्च बनाया गया।

हतू चोटी संपादित करें

इस चोटी की ऊंचाई 11155 फीट है। इस पर हतू देवी का मंदिर है। स्‍थानीय लोग हतू देवी को अपनी मां मानते हैं। मंदिर में काले पत्‍थर की देवी की मूर्त्ति स्‍थापित है। इस पहाड़ी पर देवदार का जंगल है। इस पहाड़ी से आसपास का बहुत ही विहंगम दृश्‍य दिखता है।

तानी जुब्‍बार झील संपादित करें

यह झील हतू पहाड़ी से 8 किलोमीटर की दूरी पर है। यह एक छोटी सी झील है। इस झील के पास ही नाग देवता का एक मंदिर है।

निकटवर्ती दर्शनीय स्‍थान संपादित करें

जुब्‍बल संपादित करें

(86 किलोमीटर) यह स्‍थान शिमला से हा‍थकोटी जाने के रास्‍ते पर है। यहां भव्‍य जुब्‍बल महल है। अब इस महल को हेरिटेज होटल (टेली: 01781-252001-02) का रूप दे दिया गया है। यह जुब्‍बल राणाओं का महल था। मूल महल का निर्माण 1027 ई. में हुआ था। लेकिन यह महल 1960 के दशक में आग लगने से नष्‍ट हो गया था। बाद में इस महल को पुन: बनाया गया। नया महल स्‍थानीय और यूरोपीय शैली में बना हुआ है। यह महल लकड़ी का बना हुआ है। इसका डिजाइन एक फ्रेंच वास्‍तुकार ने तैयार किया था।

आवागमन संपादित करें

हवाई मार्ग

जब्‍बारहट्टी, दिल्‍ली से मंगलवार, बुधवार तथा शनिवार को अनेक एअरलाइन्‍स की उड़ानें संचालित होती हैं।

रेल मार्ग

यहां का नजदीकी रेलवे स्‍टेशन कालका है। यह देश के प्रमुख शहरों से रेल मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। दिल्‍ली से कालका शताब्‍दी, कलकत्ता से हावड़ा-दिल्‍ली कालका मेल, मुंबई से पश्‍िचम एक्‍सप्रेस यहां जाती है।

सड़क मार्ग

थानेदर राष्‍ट्रीय राजमार्ग संख्‍या 22 पर स्थित है।