पियर इतीने थिओडर रूसो (Pierre Étienne Théodore Rousseau ; 1812-1867) बार्बिज़न शैली का फ्रांस का चित्रकार था।

थिओडर रूसो
Les chênes d'Apremont

परिचय संपादित करें

थिओडर रूसो का जन्म पेरिस मे एक दर्जी के परिवार में हुआ। दृश्य चितेरा चार्ल्स रिमांड और गुइलालेथिएर के मार्गदर्शन में उसने सोलह वर्ष की उम्र में ही कलाशिक्षा पूरी कर ली। फ्रांस में जगह जगह के प्राकृतिक दृश्यों को चित्रित करने के अध्ययन से उसने परिश्रमपूर्वक अपनी शैली का निर्माण किया। सन् १८३० में उसने मौलिक चित्रशैली के कलाकारों के कष्टों में हिस्सा बँटाया। रूढ़िवादी चित्रकारों ने पेरिस कलाप्रदर्शनी में इसके भाग भाग लेने का विरोध किया। सन् १८३१ और १८३४ में उसकी साधारण कृतियों को प्रदर्शनी में रखा गया था लेकिन सन् १८३६ में 'ला देस्कैते दे वाचे' नामक महान कलाकृति प्रदर्शनी के लिए अस्वीकृत कर दी गई। इस अपमान के कारण उसने प्रदर्शन में सन् १८४८ तक भाग लेना अस्वीकार कर दिया।

अपने ही देश में कलाक्षेत्र से बाहर रहकर रूसो ने जो कलानिर्मिति की वह बहुत ऊँची साबित हुई। 'दि चेस्टनट एवेन्यू', 'दि मार्श इन दि लैंड्स', 'होर फ्रास्ट' आदि इन दिनों की कृतियाँ हैं। सन् १८५१ की प्रदर्शनी में उसका सर्वोत्तम चित्र 'दि ऍज ऑव दि फॉरेस्ट' (जंगल की सीमा) प्रदर्शित हुअ। इसी शीर्षक के समान दूसरा एक चित्र वेलेस कलेक्शन में रखा है। रूसो अबतक बारिबिज़ान में कभी कभी आकर रहता था। लेकिन अब उसने जंगल के इसी गाँव में अपना निवासस्थान बनाया। सन् १८५५ में रूसो के बीस साल में बनाए गए अस्वीकृत चित्र इकट्ठे कर एक प्रदर्शनी आयोजित किए गए। फिर भी उसका संघर्ष चलता रहा और स्वास्थ्य गिरता गया। सन् १८६७ की प्रदर्शनी का वह फाईन आर्ट ज्यूरी में अध्यक्ष चुना गया।

रूसो के चित्र हमेशा ही गंभीर रहे, इसका कारण उसका उदासीन जीवन भी हो सकता है। कई जलरंग की कृतियाँ, रेखाचित्रण और स्याही से बनी कृतियाँ देखने पर कोई भी जान सकता है कि वह हमेशा ही नए अनुसंधानों या अन्वेषणों के पीछे लगा रहा। वेलेस और लोवरी में उसकी कृतियों का अच्छा संग्रह है। विक्टोरिया म्यूजियम में भी कुछ लघुकृतियाँ रखी हैं।


सन्दर्भ संपादित करें