थोगन नेगमेइया संगमा (जन्म-अज्ञात, बलिदान-12 दिसम्बर 1872) भारत के क्रांतिकारी थे जिन्होने १८७२ में ब्रिटिश द्वारा गारो पहाड़ियों पर कब्जा के विरुद्ध स्थानीय गारो योद्धाओं का नेतृत्व किया।

परिचय संपादित करें

सन् 1872-73 में जब अंग्रेजों ने गारो पहाड़ों पर कब्जा करने की कोशिश की थी तब संगमा ने कई दिनों तक साहसपूर्वक अंग्रेज सेना का मुकाबला किया था। सैकड़ों सशस्त्र गारो वीरों ने इन दोनों के नेतृत्व में अंग्रेजों से लोहा लिया। इन्होंने अपनी जनजाति के युवकों को प्रोत्साहित ही नहीं, बल्कि उनमें एकता का प्रयत्न भी किया। थोगन संगमा रणभूमि में लड़ते-लड़ते शहीद हुए थे। प्रतिवर्ष 12 दिसम्बर को उनकी स्मृति में गारो क्षेत्रों में स्वातंत्र्य सैनिक दिवस मनाया जाता है।

थोगन संगमा का जन्म विल्यम नगर के पास पूर्व गारो पहाड़ जिले के समंदा देहात में हुआ था। अपने कौशल और विवेक के कारण थोगन गारो जनजाति के नेता माने जाते थे। अंग्रेजों के साथ लड़ाई में भी लोगों ने उन्हें ही नेता माना। आस-पास के गांवों ने उनके नेतृत्व में लड़ाई लड़ी।

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