दंडनायक प्राचीन भारतीय शासनयंत्र का एक अधिकारी था। प्राय: इस पदवी का प्रयोग किसी सेनाधिकारी (दंड = सेना अथवा बल का नायक = नेता या अधिकारी) के लिये किया जाता था। किंतु दंडनायक से तात्पर्य सर्वदा किसी सैनिक अधिकारीअधिकारी से ही होता हो, ऐसी बात नहीं। उसका प्रयोग आधुनिक मजिस्ट्रेट अथवा मध्यकालीन फौजदार जैसे अधिकारियों के लिये भी कभी-कभी किया जाता था। यदा-कदा दंडनायक के कार्यक्षेत्र में कुछ गाँवों के समूह की रक्षा का भी कार्य होता था। प्राचीन भारतीय अभिलेखों में दंडनायकों के उल्लेख प्राय: मिलते हैं,महाभारत के पाैरानीक कथाओ मेें भी एकलव्य काे महादंडनायक कहा गया है| तथापि उनके कार्यों का कोई निश्चित स्वरूप बता सकना कठिन है। अधिकारों की व्यापकता अथवा बड़ी बड़ी सेनाओं के संचालन के कार्यभार के कारण साधारण दंडनायकों से बड़े अधिकारी भी होते थे, जिन्हें महादंडनायक, महाप्रचंडदंडनायक अथवा सर्वदंडनायक कहा जाता था। डणायक, डणांग, डनायक एवं डनाक उपनाम दंडनायक के ही अपभृंश हैं।