दक्षिणपाट सत्र भारत के असम में ब्रह्मपुत्र नदी में स्थित माजुली द्वीप पर आयोजित होने वाला एक प्रसिद्ध सत्र (सामाजिक-धार्मिक समारोह) है, जिसकी स्थापना 1584 में वामशीगोपाल के शिष्य सतराधिकार श्री वनमालीदेव ने की थी। अहोम साम्राज्य के शासक जयध्वज सिंह उन्हें बहुत सम्मान और आदर देते थे। वे सत्र को उदारतपूर्वक उपहार देते थे। इसके प्रवेश्द्वार पर अलंकृत धार्मिक रूपांकन, हैं जिसमें पशुओं और पुष्पों के चित्र उकेरे गये हैं। इसके अन्दर इसी तरह की मूर्तियाँ और चित्र हैं। सत्र के भीतर इष्टदेवता श्री श्री यादवराइ महाप्रभु की मूर्ति है।

दक्षिणपाट सत्र
धर्म संबंधी जानकारी
सम्बद्धताहिन्दू धर्म
अवस्थिति जानकारी
ज़िलायोरहाट
राज्यअसम
देशभारत
वास्तु विवरण
प्रकारअसमिया
निर्मातावनमालीदेव
अभिलेखअसमिया, व्रजावली

दक्षिणपाट सत्र, असम के चार राजसत्रों में से द्वितीय सारिर सत्र है। प्रथम सत्राधिकार श्रीश्री वनमालिदेव थे। वर्तमान सत्राधिकार श्री श्री रमानन्द देवगोस्वामी थे। विभिन्न कारणों से यह सत्र कई बार स्थानान्तरित किय गया था। मूल सत्र माजुली में है। वर्तमान में इसका एक शाखासत्र योरहाट जिले के टीयकर चटाइ में स्थापित किय गया है।

सत्राधिकारगण की तालिका

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क्रमांक सत्राधिकार का नाम अधिष्ठित समय चित्र
श्री श्री वनमालीदेव (प्रतिष्ठाता सत्राधिकार) १४९८-१६०५ शक
श्री श्री रामदेव गोस्वामी १६०५-१६१५ शक
श्री श्री कृष्णदेव गोस्वामी १६२४-१६३५ शक
श्री श्री आत्मारामदेव गोस्वामी १६३५-१६४८ शक
श्री श्री कामदेव गोस्वामी १६४८-१६७६ शक
श्री श्री सहदेव गोस्वामी १६७६-१६९१ शक
श्री श्री रन्तिदेव गोस्वामी १६९१-१७०२ शक
श्री श्री विष्णुदेव गोस्वामी १७०२-१७४२ शक
श्री श्री विभूदेव गोस्वामी १७४२-१७५० शक
१० श्री श्री वासुदेव गोस्वामी १७५०-१७९२ शक
११ श्री श्री शुभदेव गोस्वामी १७९२-१८३८ शक
१२ श्री श्री नरदेव गोस्वामी १८१७-१८४७ शक
१३ श्री श्री नारायणदेव गोस्वामी १८४८-१८६० शक
१४ श्री श्री हरिदेव गोस्वामी १८६० - १८८५ शक
१५ श्री श्री रमानन्द देवगोस्वामी १८८५ से अब तक)

इन्हें भी देखें

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