दन्त पुनःशोषण (Tooth resorption) दांतों की वह समस्या है जिसमे दांतों की संरचना जन्मजात क्षमता के कारण बिगड़ती रहती है। दांत अवशोषण २ प्रकार के होते हैं- आन्तरिक पुनःशोषण और बाह्य पुनःशोषण।

ऊपरी दन्तावली का बीच से दाहिनी तर्फ दूसरा दाँत आंतरिक पुनःशोषण से ग्रस्त है।

आंतरिक पुनःशोषण वह समस्या है जिसमे दांतों का आकर कम होता जाता है और इसमें दांतों का पल्प और उसकी डनटाईन बीच वाले भाग से खोखली होती जाती है। दांतों की इस स्थिति का पहला साक्ष्य दांतों के क्राउन पर पाए गए गुलाबी रंग के जखम से लगाया जा सकता है। यह असामान्यता दांतों पर हुए कोई भी आघात से हो सकती है। और अगर यह असामान्यता दांतों की रूट और पल्प में छेद होने से पहले देखी जाती है तो उस समय इसका इलाज अंडोडॉनटिक चिकित्सा करके किया जा सकता है।

बाह्य पुनःशोषण दांतों की वह समस्या है जिसमे दांतों का अवशोषण रूट की सतह से होते हुए दांतों तक पहुंचता है। यह दांतों पर दबाव पड़ने के कारण भी हो सकती है। और यह अस्थिशोषक में विभिन्नता होने के कारण भी पाया जाता है। [1]

  1. Kahn, Michael A. Basic Oral and Maxillofacial Pathology. Volume 1. 2001