दमयन्ती विदर्भ नरेश भीम की पुत्री थ जो हंस द्वारा गुण श्रवण करके नॅषधराज नल पर अनुरक्त हो गई थी। उसने स्वयम्बर में देवताओं तथा अन्य राजाओं को छोडकर नल को ही वरमाला पहनाई। परिणाम स्वरूप कुपित होकर कलि ने उन्हें अनेक कष्ट दिए। नैषधीयचरित के अनुसार इंद्र ने इन्हें एक वर भी प्रदान किया था। तदनंतर राजा नल और दमयंती के विहार का वर्णन मिलता है। वे रति क्रिया ने तल्लीन हुये।।[1][2][3]:136

  1. J. A. B. van Buitenen (1981). The Mahabharata, Volume 2. University of Chicago Press. पपृ॰ 318–322. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-226-84664-4.
  2. The Indian Encyclopaedia. Genesis Publishing. 2002. पृ॰ 5079. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788177552577.
  3. C.Kunhan Raja. Survey of Sanskrit Literature. Bharatiya Vidya Bhavan. पपृ॰ 136, 146–148.