दम (2003 फ़िल्म)
दम, ईश्वर निवास द्वारा निर्देशित और अली और करीम मोरानी द्वारा निर्मित 2003 की भारतीय हिन्दी एक्शन फिल्म है। फ़िल्म में विवेक ओबेरॉय, दीया मिर्जा, गोविन्द नामदेव और अतुल कुलकर्णी प्रमुख भूमिकाओं में हैं। सुशांत सिंह, मुकेश ऋषि और शीबा सहायक भूमिकाओं में हैं। सोनी म्यूजिक स्टूडियो के बैनर तले संदीप चौटा द्वारा फिल्म का संगीत बनाया गया था। यह तमिल की प्रशिध्द फ़िल्म ढिल (2001) की रीमेक थी। इस फिल्म के अधिकार शाहरुख खान की रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट के पास हैं।
दम | |
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चित्र:Dum (2003 Hindi film).jpg फ़िल्म का पोस्टर | |
निर्देशक | ईश्वर निवास |
लेखक | धरणी |
कहानी | धरणी |
निर्माता |
अली मोरानी करीम मोरानी |
अभिनेता |
विवेक ओबेरॉय दीया मिर्जा अतुल कुलकर्णी गोविंद नामदेव मुकेश ऋषि सुशांत सिंह |
छायाकार | सुरिंदर राव |
संपादक | भरत सिंह |
संगीतकार | संदीप चौटा |
प्रदर्शन तिथियाँ |
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देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
कुल कारोबार | ₹245 मिलियन (US$3.58 मिलियन) |
फ़िल्म 24 जनवरी 2003 को सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई। बॉक्स ऑफिस पर यह फ़िल्म एक व्यावसायिक विफल रही और मूल फिल्म के निर्देशक धरणी द्वारा भी इसकी आलोचना की गई।[1]
पटकथा
संपादित करेंउदय ( विवेक ओबेरॉय ) और मोहन (सुशांत सिंह) गरीब मध्यमवर्गीय परिवारों से आते हैं। उनके परिवारों की इच्छा के खिलाफ, लड़के पुलिस बल में शामिल होना चाहते हैं। बिना किसी सिफारिश या लाभ के बावजूद वे पुलिस अकादमी तक पहुंच जाते है, जहां उन्हे एक नेक प्रशिक्षण अधिकारी राज दत्त शर्मा (मुकेश ऋषि) मिलते है।
एक दिन, कावेरी ( दीया मिर्ज़ा) से, जो उदय की प्रेमिका होती है, इंस्पेक्टर शंकर उर्फ एनकाउंटर शंकर (अतुल कुलकर्णी) छेड़छाड़ करता है। इसके लिये उदय शंकर को बुरी तरह से पीटता है। शंकर उससे प्रतिशोध लेने की ठानता है। जब शर्मा को यह पता चलता हैं तो वह उदय को बताता है कि शंकर एक अहंकारी, भ्रष्ट पुलिस अधिकारी है जो अपनी शक्तियों का उपयोग सभी प्रकार के उद्देश्यों के लिए करता है।
वह अपनी पुरानी जिन्दगी के बारे में बताता है कि मंत्री देशमुख (गोविंद नामदेव) के आदेश पर बाबू कसाई (यशपाल शर्मा) नामक एक गुंडे ने मंत्री के प्रतिद्वंद्वी को मार डालता है। शर्मा की पत्नी लक्ष्मी (शीबा) उन कई गवाहों में से एक थीं जिन्होंने हत्या को देखा था, लेकिन केवल वह गवाही देने के लिए आगे आईं। देशमुख का खास शंकर, शर्मा के घर में घुसकर लक्ष्मी के सामने शर्मा की बेटी की हत्या कर देता है। जिससे लक्ष्मी सदमे में चली जाती है। शंकर को पदोन्नत किया जाता है, जबकी शर्मा को पदावनत कर प्रशिक्षण के लिए अधिकारियों के चयन का काम दे दिया जाता है।
यह एक कारण था कि शर्मा ने उस जोड़ी को चुना था। उदय अब फैसला करता है कि वह तब तक नहीं रुकेगा जब तक कि शंकर की दहशत को खत्म नहीं कर देता। इधर, मोहन को मारकर शंकर पहले ही आक्रमक स्थिति में आ जाता है। उदय को अकेला करके, शंकर सोचता है कि वह अब सुरक्षित है। लेकिन उदय शंकर पर हमला करके पलटवार करता है। वह बाबू को शंकर की बंदूक चुरा कर मारता है, जिससे हर कोई मानता है कि शंकर ने अपराधी को मारा है। प्रतिशोध में, शंकर, देशमुख को मारता है और उदय को इसके लिए फसा देता है। फिर, यह पता चलता है कि बाबू की मौत नकली थी और वह वास्तव में उदय की कैद में है।
इससे अनभिज्ञ शंकर उदय के खिलाफ बड़े पैमाने पर तलाशी शुरू करता है। यह जानने पर कि बाबू अभी जीवित है, शंकर बाबू, उदय और कावेरी को खोज लेता है और गोलीबारी होती है। गोलीबारी में बाबू बुरी तरह घायल हो जाता है। स्थिति का फायदा उठाते हुए, शंकर उदय को अकेला कर मारने की कोशिश करता है। इस बीच, बाबू, जो उसकी मृत्युसैया पर होता है, अपने सभी अपराधों को कावेरी के सामने स्वीकार कर लेता है, जो इसकी वीडियोग्राफी कर लेती हैं।
कमिश्नर खुद अपराध स्थल पर जाते हैं, जहां कावेरी उन्हें मरते हुए बाबू का बयान दिखाती है। शंकर का असली चेहरा सामने आने के बाद, कमिश्नर उदय और शंकर दोनों को आत्मसमर्पण करने का आदेश देता है। शंकर भागने की कोशिश करता है, लेकिन उदय उसे पकड़ लेता है और उसे मार डालता है। उदय आत्मसमर्पण कर देता है, जिसके बाद अदालत में उसके उपर विधिवत मामला चलता है। सबूतों के आधार पर, वह छुट जाता है, जिसके बाद अंत में लोगों द्वारा उसका भव्य स्वागत किया जाता है।
कलाकार
संपादित करें- विवेक ओबेरॉय - उदय शिंदे के रूप में
- दीया मिर्ज़ा - कावेरी के रूप में
- अतुल कुलकर्णी - इंस्पेक्टर "एनकाउंटर" शंकर के रूप में
- गोविन्द नामदेव - देशमुख के रूप में
- शीबा आकाशदीप - लक्ष्मी शर्मा के रूप में
- सुशांत सिंह - मोहन के रूप में
- मुकेश ऋषि - राज दत्त शर्मा के रूप में
- याना गुप्ता - "बाबूजी ज़रा धीरे से चलो" गीत में एक आइटम गर्ल के रूप में
- यशपाल शर्मा - बाबू कसाई के रूप में
निर्देशक टीम
संपादित करें- एसोसिएट डायरेक्टर - रफीक लसने
- सहायक निर्देशक - चंद्रशेखर टी. रमेश, राजशेखर, अमर मुखर्जी, पराग कलिता
आलोचनात्मक स्वीकार्यता
संपादित करेंबॉक्स ऑफिस पर न चलने के बावजुद, फ़िल्म को आलोचकों द्वारा सराहा गया था।[2]
गीत संगीत
संपादित करेंआधिकारिक ट्रैक लिस्टिंग।
क्र॰ | शीर्षक | गायक/गायिका | अवधि |
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1. | "दम" | संदीप चौटा | 4:58 |
2. | "जीना" | सोनू निगम, सोम्या राव | 4:48 |
3. | "बाबूजी ज़रा धीरे से चलो" | सुखविंदर सिंह, सोनू कक्कड़ | 4:59 |
4. | "समडे" | लेस्ली लुईस, अनुराधा श्रीराम | 4:54 |
5. | "दिल ही दिल में" | सोनू निगम, सोम्या राव | 4:33 |
6. | "सुनता जा" | सुखविंदर सिंह, जॉली मुखर्जी, जावेद अली, सौम्या राव | 5:03 |
7. | "दम" | सोनू निगम | 4:57 |
8. | "बाबूजी ज़रा - बिजली मिक्स" | सुखविंदर सिंह, सोनू कक्कड़ | 5:49 |
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "'They have messed up the film!'". Rediff.com. मूल से 24 जुलाई 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 अक्तूबर 2019.
- ↑ "Dum Movie Review - Planet Bollywood". मूल से 3 सितंबर 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 अक्तूबर 2019.