दांत माता का मंदिर मीणाओं के सीहरा राजवंश और खंडेलवाल वैश्य समाज की किलकिल्या गोत्र की कुल देवी का मंदिर है। यह मंदिर जयपुर के जमवा रामगढ़ में स्थित है।[1] माता के मंदिर का निर्माण सीहरा राजवंश के राजा राव सींगोजी ने विक्रम संवत 352 यानी 295 ईस्वी में करवाया था और पूर्व की ओर झांकती हुई मंदिर की सीढ़ियाँ बनवाई थीं।

  1. "जमवा रामगढ़ के मंदिर". मूल से 24 सितंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 अगस्त 2015.

हिन्दू समाज में कुल​देवियों का खास स्थान है। हर हिन्दू कुल के खास कुलदेवता या कुलदेवी रहे हैं। राजस्थान में मीणा समाज एक बड़ा समाज है। इसके कई राजवंश या कुल हैं। सीहरा राजवंश इन्हीं में से एक है। सीहरा राजवंश की कुलदेवी दांत माता हैं।

यदि आपको दांत माता के दर्शन करने हैं, तो आपको जयपुर के नजदीक जमवा रामगढ़ जाना होगा। यह पहाड़ी पर स्थित एक मनोरम मंदिर है। कहा जाता है कि दांत माता के मंदिर का निर्माण सीहरा राजवंश के राजा राव सींगोजी ने विक्रम संवत 352 में करवाया था। पहाड़ी पर पूर्व पूर्व दिशा में मंदिर की सीढ़ियां है। माता का यह सफेद मंदिर पहाड़ी पर किसी दांत जैसा ही सुंदर दिखाई देता है।

जयपुर की कई साल तक प्यास बुझाने वाले रामगढ़ बांध से करीब दो किलोमीटर दूर यह मंदिर स्थित है। यह मीणा समाज के अलावा अन्य समाजों की भी लोक आस्था का केन्द्र है। नवरात्र समेत विभिन्न मौकों पर लोग यहां जात-जडूले और सवामणी के लिए आते हैं। माता के मन्दिर में प्रसाद के साथ श्रद्धा के मुताबिक माता की पोशाक, सोलह श्रृंगार की सामग्री भेंट करने की भी परम्परा है।

आसपास पहाडि़यां है और बारिश के दौरान यहां आसपास कई झरने बहने लगते है। वातावरण सुरम्य हो जाता है। तब यहां गोठ और पिकनिक करने के लिए भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचते है। यह रामगढ़ वन्यजीव अभयारण्य का भी हिस्सा है। माता के मन्दिर के सामने से गुजरने वाला हर भक्त मां को शीश झुकाना नहीं भूलता।

कहा जाता है कि जो सच्चे मन से माता की आराधना करते है, दांत माता माता उनकी मनोकामना पूरी करती है। आज जमवा रामगढ़ जा रहे हैं, तो यहां कच्छवाह वंश (जयपुर राजघराना) समेत कई समुदाय की कुलदेवी जमुवाय माता के दर्शन भी कर सकते हैं।