दादा छोटे खां मेवाती
  छोटे खां मेवाती रटावद अर्जन खां मेवाती के एकमात्र पुत्र थे।
  जिन्होंने (अर्जन खां मेवाती) ने मोरटा मालोथर नामक गांव को डाकुओं से आज़ाद करवाया था अर्जन खां और मल्लू खां दो भाई थे जो अपने समय के मशहूर बहादुरों में अव्वल दर्जे पर थे जो मोरटा गांव में आने से पहले बड़ोदिया नामक गांव में रहते थे तथा उनका मुख्य पेशा अंग्रेजो को लूटना और लूट के धन को गरीबों में बांटना था , जब मोरटा गांव के लोग डाकूओ से काफी परेशान हो गए तब कुछ ग्रामीणों ने अर्जन खां और मल्लू खां को गांव की समस्या बताई फिर क्या था? आ गए गरीबों के मसीहा दोनो भाई और गांव को चंद दिनों में आजाद करवा कर यही बस गए 
  अर्जन खां मेवाती साहब के पुत्र छोटे खां मेवाती ने भी अपने पिता की तरह गरीब लोगो की हमेशा मदद की ,
  कहा जाता है की दादा छोटे खां मेवाती ने भू-दान आंदोलन में अपनी जमीन का बहुत बड़ा भाग सीधे गरीबों को दान दिया था।             
  

एक बार छोटे खां मेवाती ने अकेले ही 100-150 लोगो को सिर्फ लाठी से मार भगाया था।

 छोटे खां मेवाती हमेशा कहते थे "मेवाती की बदन में खून से जादा बहादुरी रे है मेरी नस्ल भी हर हाल में बहादुर ही रेगी" 
 उनके पुत्र सुबान खां मेवाती के पांचों पुत्रों ने भी दर्जन भर लुटेरों को मार कर पुलिस के हवाले किया था।
 छोटे खां मेवाती बुद्धिमान,निडर और साहसी होने के साथ ही दानी व्यक्ति थे।