दादूदन गढवी
दादूदान गढवी, [1](११ सितंबर १९४० - २६ अप्रैल २०२१)[2] जिन्हें कवि दाद के नाम से भी जाना जाता है, गुजरात, भारत के एक गुजराती कवि और लोक गायक थे। उन्हें 2021 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।[2]
दादूदान गढवी | |
---|---|
जन्म |
(सन १९४० ई ० ) गिर, (हाल में गुजरात, भारत) |
मौत |
(सन २०२१ ई ० ) |
उपनाम | कवि दाद |
जीवनी
संपादित करेंगढ़वी का जन्म 1940 में ईश्वरिया (गिर) में हुआ था।[2] उनके पिता का नाम प्रतापदान गढ़वी था जो राजकवि और जूनागढ़ के नवाब के सलाहकार थे। उनकी माता का नाम कर्णिबा गढ़वी था। उन्होंने चौथी कक्षा तक पढ़ाई की थी। वह गिर के पास ईश्वरिया गांव के रहने वाले थे। उन्होंने 15 गुजराती फिल्मों के लिए गीत लिखे थे।[3] उनकी पूरी रचनाएँ टर्वा (२०१५) और लछनायन (२०१५) में संकलित हैं। उनकी अन्य रचनाएँ हैं तेरवा (चार खंड), चित्तहरनु गीत, श्री कृष्ण छंदावली और रामनाम बाराक्षरी। उनके लोकप्रिय गीतों में एक विवाह गीत "कलजा केरो काटको मारो गण्थी छुटी गयो", "कैलास के निवासी", "ठाकोरजी नाथी थवु गढ़वैया मारे" और "हिरन हलकाली" शामिल हैं। उनकी पुस्तक "बंग बवानी" केंद्र सरकार द्वारा प्रकाशित की गई थी, जिसे उन्होंने 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान लिखा था, उन्होंने पुस्तक से सभी लाभ बांग्लादेश शरणार्थी कोष में दान कर दिए थे।[2]
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल कवि दादा की कविता "कलजा केरो काटको मारो" से प्रेरित थे और उन्होंने "कुंवरबाई नु मामेरु योजना" (गुजरात राज्य में दुल्हन के माता-पिता की आर्थिक मदद करने के लिए एक सरकारी योजना) शुरू की थी।
1977 में आपातकाल के दौरान उन्होंने एक कविता लिखी,
"बापू गांधी तमरे बरने बेथो, अतलु आज तू बता, आ देश मा केदी है राम राज आवे, दादा के आजादी फरे उगादी, आने शर्म मुखड़ा चुपवे, जजा धनी नी धनियांनी ने प्रभु तू लगदा परवे"
भारत में आपातकाल के दौरान सरकार द्वारा इस कविता को पढ़ने या महिमामंडित करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
26 अप्रैल 2021 को उनका निधन हो गया।[4]
मान्यता
संपादित करेंगढ़वी को गुजरात गौरव पुरस्कार के साथ-साथ झावेरचंद मेघानी पुरस्कार भी मिला था। साहित्य और शिक्षा में उनके योगदान के लिए उन्हें २०२१ में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। [5][2]
संदर्भ
संपादित करें- ↑ "દાદુદાન પ્રતાપદાન ગઢવી કવિ દાદના ઉપનામથી જાણીતાઃ માત્ર ચાર ચોપડી ભણ્યાં હોવા છતાં ગુજરાતી સાહિત્ય ક્ષેત્રે કવિ દાદનું મોટું યોગદાન". www.akilanews.com. मूल से 3 फ़रवरी 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2021-06-27.
- ↑ अ आ इ ई उ "गुजराती भाषा के कवि दादू दान गढ़वी का 81 साल की उम्र में निधन, पीएम मोदी ने जताया शोक". TV9 Hindi (hindi में). अभिगमन तिथि 2021-06-27.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
- ↑ "દાદુદાન પ્રતાપદાન ગઢવી કવિ દાદના ઉપનામથી જાણીતાઃ માત્ર ચાર ચોપડી ભણ્યાં હોવા છતાં ગુજરાતી સાહિત્ય ક્ષેત્રે કવિ દાદનું મોટું યોગદાન". www.akilanews.com. मूल से 3 फ़रवरी 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2021-06-27.
- ↑ "કવિ દાદુદાન ગઢવીના સમગ્ર કાવ્યસંગ્રહનું કાલે વિમોચન". Divya Bhaskar (गुजराती में). 2016-10-13. अभिगमन तिथि 2021-07-01.
- ↑ ટીમ, એબીપી અસ્મિતા વેબ (2021-01-26). "જેના પર થાય છે પીએચડી, એવા કવિ દાદ માત્ર 4 ધોરણ પાસ, રચનાની આ છે વિશેષતા". gujarati.abplive.com (गुजराती में). अभिगमन तिथि 2021-07-02.