दारोजी इरम्मा, जिन्हें बुर्राकथा ईरामम्मा के नाम से जानाी जाताी है, इनका कार्यकाल अवधि (1930–12 अगस्त 2014) तक था, लोक गायक और बुर्राकथा में एक लोक कलाकार थी । उन्हें 1999 में राज्योत्सव प्रशस्ति सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

इरम्मा का जन्म 1930 में अर्ध-घुमंतू बुगागा जनगामा समुदाय, अनुसूचित जाति जनजाति के एक परिवार में हुआ था। उसने अपने पिता लालप्पा से एक युवा किशोर के रूप में बुराकथा सीखा, और इस लोक कला को अपने परिवार और समुदाय के सदस्यों को सिखाया था। [1]े हालांकि इरम्मा अनपढ़ थी लेकिन वह अपने याद से बारह लोक महाकाव्य कह सकती थी, जो 200,000 वाक्यों औरॉ 7,000 पृष्ठों तक प्रिंट हो सकता है।[2]इन लोक महाकाव्यों में कुमाररामा , बाबुली नागिरेड्डी , बाला नगम्मा , जयसिंह राजा काव्य और बाली चक्रवर्ती काव्य शामिल हैं।[2] उनका प्रदर्शन कई दिनों तक उनकी बहन-शिवाम्मा, और उनकी भाभी-परवथम्मा के साथ टक्कर पर चला, जबकि एरम्मा खुद एक हाथ से वाद्य बजाती थीं और दूसरे हाथ से घंटी बजाती थीं। उसने और पोलियो टीकाकरण पर जागरूकता अभियानों में भाग लिया था । [2]12 अगस्त 2014 को कर्नाटक में बेल्लारी में उनका निधन हो गया। बेल्लारी जिले के संदुर तालुका में उनके पैतृक गाँव दारोजी में उनका अंतिम संस्कार किया गया।

  1. Ahiraj, M. (13 August 2014). "Daroji Eramma is no more". The Hindu (अंग्रेज़ी में). मूल से 4 फ़रवरी 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 March 2018.
  2. Ahiraj, M. (22 February 2012). "Janapada Shri Award for Daroji Eramma today". The Hindu (अंग्रेज़ी में). मूल से 4 फ़रवरी 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 March 2018.