दाशमिक मुद्रावली या दाशमिक मुद्रा प्रणाली(Decimal Coinage या Decimalization) ऐसी किसी भी मुद्रावली को कहते हैं, जिसमें विभिन्न मानों की मुद्राएँ किसी मानक एकक के सपेक्ष दसगुनी और दशमांशों में होती हैं। इस प्रकार यदि मानक एकक 1 है तो उच्चतर मानों की मुद्राएँ 10, 100, 1000 इत्यादि होंगी और निम्नतर मानों की 0.1, 0.01, 0.001, इत्यादि। परिपूर्ण निकाय में कोई भंजन अथवा अंतवेंशन नहीं होगा, किंतु वस्तुत: दशमिक कहीं जानेवाली मुद्रावलियों में ऐसी दृढ़ परिपूर्णता नहीं होती। भारतीय दशमिक मुद्रावली में मानक एकक एक रुपया है। इसके अपवर्त्य 2 रु., 5 रु., 10 रु., 100 रु. के नोट हैं और अपवर्तक 50, 25, 10, 5 3, 2, 1 पैसे की मुद्राएँ हैं। ऐसी ही विषमताएँ फ्रांस, जर्मनी और संयुक्त राज्य (यूएसए) की मुद्रावलियों में है। अवश्य ही इन व्यावहारिक संशोधनों से परिसीमित हो विश्व के अग्रगण्य देशों ने दशमिक मुद्रावली को अपना लिया है। इनकी तिथियाँ इस प्रकार हैं :

संयुक्त राज्य 1786 और 1792 ई.; फ्रांस 1799 और 1803 ई., जिसका अनुसरण लैटिन यूनियन के देशों ने सन् 1865 में किया; जर्मनी 1873 ई.; स्कैंडिनेवियन स्टेट्स 1875 ई.; ऑस्ट्रिया-हंगरी 1870 ई., जिसका विकास 1892 ई. में हुआ; रूस 1839 और 1897 ई. तथा जापान 1871 ई.। लैटिन अमरीकी देशों ने भी इसे अपना लिया है। यूके 15 फ़रवरी 1971।

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