दाहिर (राजा)
दाहिर सिंध के अंतिम हिंदू राजा थे।[1] उनके समय में ही अरबों ने सर्वप्रथम सन ७१२ में भारत (सिंध) पर आक्रमण किया था। मुहम्मद बिन क़ासिम मिशन 712 में सिंध पर आक्रमण किया था जहां पर दाहिर ने उसे रोका और उसके साथ युद्ध लड़ा उनका शासन काल 663 से 712 ईसवी तक रहा उन्होंने अपने शासनकाल में अपने सिंध प्रांत को बहुत ही मजबूत बनाया था, परंतु अरब के खलीफा ने मोहम्मद बिन कासिम को भेजा और कासिम को मालूम था की इनसे युध्द मे जितना मुस्किल है, जिसके कारण कासिम ने इनके एक सिपहसालार को दाहिर को मारने के बाद उसे गद्दी पर बैठाने का ख्वाब दिखाया' जिससे उस सिपहसालार ने दाहिर के साथ गद्दारी की इस कारण इनको हार का मुंह देखना पड़ा। दाहिर अपने जीवन काल में कभी कोई युध्द नही हारे थे। 712 में दाहिर की सिंधु नदी के किनारे मृत्यु हो गयी।[2]
दाहिर | |
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सिंध का राजा | |
सिन्ध का तीसरा और अंतिम राजा | |
शासनावधि | 695 - 712 ईसा |
पूर्ववर्ती | चंदर |
उत्तरवर्ती | उमय्यद ख़िलाफ़त) |
रीजेंट | दाहिर |
जन्म | 25 अगस्त 669 ईसा अलोड़, सिंध (वर्तमान में रोहड़ी, सिंध, पाकिस्तान) |
निधन | 712 ईसा (आयु 49 वर्ष) सिन्धु नदी, सिंध (वर्तमान में नवाबशाह, सिंध, पाकिस्तान) |
जीवनसंगी | लाडी बाई |
संतान | राजकुमारी सूर्यकुमारी परमाल |
माता | रानी सुहान्दी |
धर्म | हिंदू धर्म |
इनके पुत्र जय सिंह दाहिर भी 712 मे मारे गये।
अरोड़ की लड़ाई (712 ईस्वी)
आठवीं सदी में बगदाद के गवर्नर हुज्जाज बिन यूसुफ के आदेश पर उनके भतीजा और नौजवान सिपासालार मुहम्मद बिन कासिम ने सिंधु पर पर हमला करके राजा दाहिर को शिकस्त दी और यहां अपना शासन स्थापित किया । 712 में सिंधु नदी के किनारे उनकी मौत हो गयी। इनके पुत्र जय सिंह भी 712 मे मारे गए।[3][4]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ R. C. Majumdar, General Editor (1970). History and Culture of the Indian People, Volume 03, The Classical Age. Public Resource. Bharatiya Vidya Bhavan.
- ↑ "SITUATIONER: Nine trenches into the past of Sindh".
- ↑ Asif, Manan Ahmed (2016-09-19). A Book of Conquest: The Chachnama and Muslim Origins in South Asia (अंग्रेज़ी में). Harvard University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-674-66011-3.
- ↑ "Dahar". pakistanspace.tripod.com. अभिगमन तिथि 2023-04-25.