दिगंत
दिगंत में कवि त्रिलोचन के कुछ सॉनेट संकलित हैं। हिन्दी में सानेट तो प्रसाद, पन्त, निराला आदि अन्य कवियों ने भी लिखे हैं, लेकिन त्रिलोचन ने सॉनेट के रूप में विविध प्रकार के नये प्रयोग कर सॉनेट को हिन्दी कविता में मानो अपना लिया है। जीवन के अनेक प्रसंगों की मार्मिक और व्यंग्यपूर्ण अभिव्यंजना इन कविताओं में हुई है। त्रिलोचन के सॉनेटों की भावभूमि छायावाद नहीं है और न प्रयोगवादी ही, यद्यपि भाषा, लय और विन्यास सर्वथा नवीन और चमत्कारपूर्ण हैं। जीवन के वैषम्यों की गहरी चेतना होने के कारण ही त्रिलोचन का दृषटिकोण आशावादी है और उन्होंने अपनी अनुभूतियों को नई भाषा में ढालकर तीखी अभिव्यक्ति दी है जो सीधे ह्रदय पर चोट करती है।[1]
दिगंत | |
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दिगंत का मुखपृष्ठ | |
लेखक | त्रिलोचन |
देश | भारत |
भाषा | हिंदी |
विषय | कविता संग्रह |
प्रकाशक | राजकमल प्रकाशन |
प्रकाशन तिथि | 4 मार्च 2006 |
पृष्ठ | 67 |