दूरस्थ शिक्षा
दूरस्थ शिक्षा (Distance education), शिक्षा की वह प्रणाली है जिसमें शिक्षक तथा शिक्षु को स्थान-विशेष अथवा समय-विशेष पर मौजूद होने की आवश्यकता नहीं होती। यह प्रणाली, अध्यापन तथा शिक्षण के तौर-तरीकों तथा समय-निर्धारण के साथ-साथ गुणवत्ता संबंधी अपेक्षाओं से समझौता किए बिना प्रवेश मानदंडों के संबंध में भी उदार है।
भारत की मुक्त तथा दूरस्थ शिक्षा प्रणाली में राज्यों के मुक्त विश्वविद्यालय, शिक्षा प्रदान करने वाली संस्थाएं तथा विश्वविद्यालय शामिल है तथा इसमें दोहरी पद्धति के परंपरागत विश्वविद्यालयों के पत्राचार पाठयक्रम संस्थान भी शामिल हैं। यह प्रणाली, सतत शिक्षा, सेवारत कार्मिकों के क्षमता-उन्नयन तथा शैक्षिक रूप से वंचित क्षेत्रों में रहने वाले शिक्षुओं के लिए गुणवत्तामूलक व तर्कसंगत शिक्षा के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
भारत में मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा का इतिहास
संपादित करेंभारत में मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा की प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं-
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने 1956-1960की अपनी रिपोर्ट में सायंकालीन महाविद्यालय, पत्राचार पाठ्यक्रम आदि शुरू करने का सुझाव दिया।
- १९६२ : दिल्ली विश्वविद्यालय का पत्राचार पाठ्यक्रम विद्यालय शुरू हुआ।
- १९७० का दशक : पत्राचार पाठ्यक्रमों का विकास एवं प्रसार हुआ।
- १९८० का दशक : सरकार ने मुक्त विश्वविद्यालय प्रणाली चालू की।
- १९८२ : हैदराबाद में डॉ भीमराव अम्बेदकर मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना।
- १९८५ : दिल्ली में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना।
- १९८७ : कई राज्यों में मुक्त विश्वविद्यालय खुले।
- नवम्बर १९८९ : राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान की स्थापना
- १९९१ : इग्नू द्वारा सूरस्थ शिक्षा परिषद (DEC) की स्थापना
- १९९४ : डॉ बाबासाहेब आंबेडकर मुक्त विश्वविद्यालय दूरस्थ शिक्षा विश्वविद्यालय की स्थापना
- जून २०१३ : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा दूरस्थ शिक्षा ब्यूरो की स्थापना
दूरस्थ शिक्षा की विशेषताएँ
संपादित करें- दूरस्थ शिक्षा में विद्यार्थी को नियमित तौर पर किसी संस्थान में जाकर पढ़ाई करने की जरूरत नहीं होती।
- सभी पाठ्यक्रमों के लिए क्लासों की संख्या तय होती है और देश भर के कई केन्द्रों पर उनकी पढ़ाई होती है।
- सूचना क्रांति और इन्टरनेट के कारण दूरस्थ शिक्षा और आसान एवं प्रासंगिक हो गयी है।
- और इस शिक्षा से समय बचता हैं
- विजुअल क्लासरूम लर्निंग, इंटरैक्टिव ऑनसाइट लर्निंग और वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिए विद्यार्थी देश के किसी भी राज्य में रहकर घर बैठे पढ़ाई कर सकते हैं।
- विद्यार्थी अपनी आवश्यकता के अनुसार अपने पढ़ने की समय-तालिका बना सकते हैं।
- कम खर्चीली - दूरस्थ शिक्षा से पढ़ाई करने की फीस काफी कम है।
- सर्वसुलभ - विद्यार्थियों की संख्या की कोई सीमा नहीं
- काम (जॉब) करने के साथ-साथ पढ़ाई की जा सकती है।
- कम अंक आने पर भी मनपसंद कोर्स में दाखिला मिल जाता है।
- किसी भी कोर्स के लिए उम्र बाधा नहीं होती है।
- दूरस्थ शिक्षा में सबसे महत्वपूर्ण कार्य 'पाठ्य सामग्री तैयार करना' है। इसमें शिक्षक सामने नहीं होते। इसलिए पाठ्य सामग्री ही शिक्षक का काम करता है।
- साधारण कोर्स के साथ ही वोकेशनल कोर्स तथा प्रोफेशनल कोर्स भी दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से किये जा सकते हैं।
- आजकल दूरस्थ शिक्षा के द्वारा विद्यार्थी ग्रेजुएट, एमफिल, पीएचडी, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट आदि सभी कोर्स कर सकते हैं।[1]
- मान्यता : पत्राचार से किए गए कोर्सों की मान्यता कहीं कम नहीं आंकी जाती। ये भी उतने ही महत्वपूर्ण होते हैं जितने की रेग्युलर कोर्स।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "दूरस्थ शिक्षा माध्यम है, तो कुछ ग़म नहीं". मूल से 23 सितंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 अगस्त 2014.
इन्हें भी देखें
संपादित करें- मुक्त विश्वविद्यालय
- मुक्त अधिगम (ओपेन लर्निंग)
- राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान
- इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय
- मुक्त पाठ्यक्रम (Open course)
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- पत्राचार शिक्षा से बदलती युवाओं की तकदीर
- दूरस्थ शिक्षा: कई अवसर ‘ओपन’ हैं अब
- उच्चतर शिक्षा क्षेत्र में दूरस्थ शिक्षा से सम्बन्धित नई नीति
- राज्यपाल ने किया दूरवर्ती-व्यावसायिक शिक्षा के क्रन्तिकारी अभियान का शुभारंभ
- The International Association for K-12 Online Learning
- The United States Distance Learning Association
- An Instructional Media Selection Guide for Distance Learning, an official publication of the United States Distance Learning Association
- https://web.archive.org/web/20091230193101/http://www.txdla.org/ The Texas Distance Learning Association (TxDLA)