देवकली देवलास, उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में स्थित एक गाँव है। यह गाँव मुहम्मदाबाद गोहना-घोसी मार्ग पर मुहम्मदाबाद से ८ कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित है। देवकली देवलास में एक पुराना सूर्य मन्दिर विद्यमान है। यह मन्दिर आस-पास के इलाको में बहुत प्रसिद्ध है। छठ के अवसर पर यहाँ एक मेला लगता है। मेले में दूर्-दूर से लोग आते है। कइ दिनो तक चलने वाले इस मेले में बहुत भीड़ होती है।

देवलास एक प्रसिद्ध सांस्कृतिक स्थल है जो मऊ और आजमगढ़ से लगभग ३० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मुहम्मदाबाद गोहना तथा घोसी मार्ग पर है। लगभग २० मंदिर यहां हैं तथा प्राचीन वटवृक्ष देखे जा सकते हैं। सब से प्रसिद्ध मंदिर सूर्य मंदिर है। शायद इसी लिए इसे पहले देवलार्क ' [ देवल + अर्क = सूर्य मंदिर] कहा जाता था। यहां स्कन्द गुप्त कालीन/गुप्त कालीन मूर्तियां मिलती हैं। इन पर शोध किया जाना बाक़ी है। यहां देव ताल एवं तुलसी ताल नामक दो प्रसिद्ध ताल [वृहत तालाब] हैं, जिन की शोभा देखते बनती है। इन तालों को अब पर्यावरण की दृष्टि से और भी परिमार्जित किये जाने की ज़रुरत है। इन की प्राकृतिक छवि देखने लायक है। दीपावली के छठे दिन [कार्तिक षष्ठी] से यहां एक सप्ताह का बहुत बड़ा मेला लगता है, जिसमें कृषि संस्कृति की ज़रूरतों से लेकर अन्य वस्तुएं बिकती हैं। पशुओं की भी बिक्री होती रही है। मेले में सर्कस, मिठाइयां, लकड़ी, लोहे के सामान, पुस्तकें , प्लास्टिक की चीज़ें यहां बहुतायत से उपलब्ध होती हैं। स्वच्छता का विशेष ध्यान दिया जाता है। दूर दूर की नाटक मंडलियां यहां इस अवसर पर आ कर मेले में लोक नाट्य एवं लोक संगीत की प्रस्तुति करती हैं। जनता इस मेले में उमड़ पड़ती है। कभी कभी तो तिल भर भी जगह नहीं होती. पर्यटन की दृष्टि से यह श्रेष्ठ स्थल है लेकिन इस को राष्ट्रीय मान चित्र पर लाने की ज़रुरत है। जैसे - कोणार्क, लोलार्क वैसे ही देवलार्क [देवलास] को विकसित किया जा सकता है।

=देवलास के परिचय दास

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जाने -माने भोजपुरी -हिन्दी साहित्यकार , गायक , संपादक, चिंतक, अभिनेता परिचय दास , जिन का मूल नाम डॉक्टर रवीन्द्र नाथ श्रीवास्तव है , का जन्म यहीं रामपुर कांधी गाँव में हुआ था , जो देवलास से लगा हुआ गाँव है। श्री परिचय दास नव नालंदा महाविहार सम विश्वविद्यालय ( संस्कृति मंत्रालय , भारत सरकार ), नालंदा में हिंदी विभाग के प्रोफ़ेसर एवं अध्यक्ष हैं। वे हिंदी अकादमी , दिल्ली सरकार के सचिव तथा मैथिली -भोजपुरी अकादमी , दिल्ली सरकार के सचिव रह चुके हैं। उनकी पुस्तकों की संख्या 25 से अधिक है। धीमी आँच में तथा अनुपस्थित दिनांक उनकी कविताओं के अब तक के समग्र हैं। परिचय दास ने यहां देवलास के प्राइमरी स्कूल से तीसरी से ५ वीं [ १९७१-१९७३ ] तथा देवर्षि विद्यालय से छठीं से ८ वीं तक शिक्षा प्राप्त की [१९७३- १९७६ ] . उस समय देवलास के प्राइमरी स्कूल के प्रधानाचार्य परिचय दास जी के छोटे बाबा श्री राजवंश लाल जी थे, जिनकी पूरे इलाक़े में इज़्ज़त थी। हिन्दी , भोजपुरी और अंग्रेजी भाषा तथा साहित्य की प्राथमिक शिक्षा उन्हें अपने छोटे बाबा श्री राजवंश लाल जी से ही मिली। देवलास प्राइमरी स्कूल की स्थापना उन के प्रयत्नों से हुई थी। उन्हीं के समय में प्राइमरी स्कूल की भव्य इमारत तैयार हुई, जो आज भी किसी डिग्री कॉलेज से कम नहीं लगती. पूरे इलाक़े में शिक्षा फैलाने का काम श्री राजवंश लाल जी ने किया था। बाद में मिडल स्कूल [ जो अब इण्टर कॉलेज है ] की स्थापना राजवंश लाल जी और उन के चचेरे भाई श्री उदय नारायण लाल ने किया था। श्री परिचय दास को इतिहास का ज्ञान उन के बड़े बाबा श्री चन्द्र भान लाल जी ने दिया तथा संगीत व लोक की समझ उन के पिता श्री राजेन्द्र लाल श्रीवास्तव तथा माँ श्रीमती माधुरी श्रीवास्तव ने दिया था। श्री राजेन्द्र लाल जी इलाक़े के अच्छे भोजपुरी लोक गायक रहे हैं , जिन की अपनी प्रतिष्ठा रही है। वे होली के अवसर पर अपने होली गीतों के गायन से सबका मन मोह लेते रहे हैं। राजेन्द्र लाल जी कुछ गीत भी लिखते थे , जैसे कि राजवंश लाल जी भी लिखते थे। परिचय दास के साहित्य और जीवन में अपने पूर्वजों का बड़ा योगदान रहा है। वे सभी देवलास से जुड़े रहे हैं।