देवयानी शुक्राचार्य की पुत्री थी, अपने पिता के शिष्य कच को देखकर देवयानी मोहित हो गइ फिर देवयानी को कच के साथ समागम कि इच्छा होने लगा। कच बृहस्पति का पुत्र था जो शुक्राचार्य के पास संजीवनी विद्या सीखने के लिए आया था। जब आश्रम मे कोइ नही था तो देवयानी ने कच को अपने साथ समागम करनेको कहा फिर कच ने मना कर दिया तो देवयानी ने उसे शाप दिया कि तुम्हारी विद्या तुम्हें फलवती न होगी। इसपर कच ने भी शाप दिया कि कोई भी ब्राह्मण वा ऋषिपुत्र तुम्हारा पाणिहग्रहण न करेगा।

चित्र:Sharmista was questined by Devavayani.jpg
ययाति के साथ खड़ी देवयानी, शर्मिष्ठा से प्रश्न करती हुई

देवयानी और उसकी सखी शर्मिष्ठा की कथा प्रसिद्ध है। देवयानी के पति ययाति शर्मिष्ठा से प्रेम करने लगे जिससे वह अपने पिता शुक्राचार्य के पास लौट गई। ययाति की वृद्धत्व का शाप मिला जिसे (शर्मिष्ठा से उत्पन्न) उनके एक पुत्र पुरु ने स्वयं स्वीकार किया।