देवराज शर्मा
देवराज शर्मा एक कवि एवं नाटककार हैं। आपने कई पुस्तकों की रचना की है जिनमें 'श्री हनुमत महागाथा' , 'अज्ञातवास' , 'मगही के तीन गो फूल' , ' सुहाग की रात' , 'बड़ा आदमी' , 'देवास' ,'चिनगारी' , 'नैन निछाउर' , 'विपिन के बारह वर्ष', 'कलियुग प्रवेश' एवं 'मगही के पाँचगो फूल' प्रमुख हैं। आपकी रचना 'देवास' अंधविश्वास एवं अंधश्रद्धा पर कड़ा प्रहार करती है और एक आदर्श, विकासोन्मुख एवं शिक्षित समाज की स्थापना की ओर अग्रसर करती है। आपने रामभक्त श्री हनुमान जी पर ' श्री हनुमत महागाथा' नामक महाकाव्य की रचना की है जो सम्भवतः श्री हनुमान जी पर लिखा गया प्रथम महाकाव्य है। यह लोकप्रिय गाथा जन-सामान्य के बोल-चाल के शब्दों में मारुत-नन्दन पराक्रमी महावीर जी पर लिखा गया उत्कृष्ट काव्य है।वहीं पाण्डवों को मिले अज्ञात वास पर आपने खण्डकाव्य 'अज्ञातवास' की रचना हिन्दी में की है जिसका मगही में अनुवाद आपके दोनों प्रतिभा-सम्पन्न सुपुत्र विजय कुमार एवं कुमार विमल ने किया है।
जन्म-स्थान
संपादित करेंआपका जन्म २ जनवरी १९३७ को अजवां,पटना में हुआ। आप स्व० बूलकचन्द सिंह जी के सुपौत्र एवं स्व० बलभद्र सिंह जी के सुपुत्र हैं। आप पांच वर्ष तक उच्च विद्यालय में सहायक शिक्षक एवं ३४ वर्षों तक उच्च विद्यालय में प्रधानाध्यापक के पद पर कार्य करके सेवा निवृत्त होकर हिन्दी, मगही एवं अंग्रेजी के सृजन कार्य कर रहे हैं।
विद्यार्थी जीवन से आज तक आप सैंकड़ो नाटक के सफल संकेतक और निर्देशक का कार्य करते आ रहे हैं।
सम्मान
संपादित करेंअज्ञातवास' (हिन्दी खण्ड काव्य) पर वर्ष १९७४ में राष्ट्रभाषा परिषद, बिहार, पटना द्वारा २००० रु० के साथ-साथ आपको प्रशस्ति-पत्र दे सम्मानित किया गया। पालीगंज के अंकुरी मगही कवि सम्मेलन में, अंग वस्त्र के साथ-साथ आपको 'मगही कवि रत्न' की उपाधि प्रदान की गई। नौबतपुर 'मानस सत्संग भवन' में आयोजित हनुमान जयंती के अवसर पर अंग वस्त्र एवं प्रशस्ति-पत्र देकर आपको सम्मानित किया गया।
कृतियाँ
संपादित करेंआपने कालजयी 'श्री हनुमत् महागाथा' में श्री हनुमान जी की माता अंजनी के पूर्व जन्म की कथा से लेकर उनकी तपस्या, पुत्र-रत्न की प्राप्ति, श्री हनुमान जी की बाल लीलाएं, देवों द्वारा दिये गये वरदान तथा भृगु-अंगीरा द्वारा दिये शापादि का विस्तार में वर्णन किया है। श्री हनुमत महागाथा ( महाकाव्य ) में श्री हनुमान जी के वृहत् जीवन लीला के साथ-साथ संपूर्ण राम कथा, गीता ज्ञान ( जिसे सूर्य देव ने अपने शिष्य हनुमान को दिया था ) को सरस सरल दोहा-चौपाइयों में व्यक्त किया है। इसके साथ ही महाभारत एवं कलिकाल में किये गये श्री हनुमान जी के चमत्कारिक कार्यकलापों का भी विस्तृत वर्णन कवि ने किया है , जो परम सराहनीय है।