देवस्थान विभाग
विभाग का सामान्य परिचय
संपादित करेंराजस्थान सरकार का राजकीय विभाग जो अधिसूचित ट्रस्टों / सरकारी और निजी मंदिरों के रख-रखाव, भोग-राग प्रबंध, पुजारियों की नियुक्ति और राजस्थान देवस्थान राज्य व अधीनस्थ सेवा अधिनियम 2000[1] के अंतर्गत कानूनी/ उत्तराधिकार संबंधी विवादों का निपटारा करने के लिए गठित किया गया है, जिसके कार्यक्षेत्र में राजस्थान राज्य और राजस्थान से बाहर स्थित ३९० सरकारी मंदिर और २०४ निजी मंदिर आते हैं |[2]
प्रशासनिक-व्यवस्था
संपादित करेंआयुक्त देवस्थान इस विभाग के विभागाध्यक्ष नामित हैं और विभाग का मुख्यालय उदयपुर में है |
विभाग के नए दायित्व
संपादित करेंविभाग के जालघर के अनुसार -"देवस्थान विभाग मन्दिर संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्द्धन का विभाग है। इस विभाग के वर्तमान स्वरूप का भूतपूर्व राजपुताना राज्य छोटी-बडी 22 रियासतों के विलीनीकरण के पश्चात पूर्व देशी राज्यों द्वारा राज्यकोष के माघ्यम से संचालित मन्दिरों, मठों, धर्मशालाओं आदि के प्रबंधन एवं सुचारू संचालन हेतु वर्ष 1949 में बने वृहत् राजस्थान राज्य के साथ-साथ हुआ, किन्तु परिवर्तित परिस्थितियों के अनुसार समय-समय पर राज्य सरकार द्वारा विभागीय कार्यकलापों का विस्तार किया गया है तथा नवीन दायित्व सौंपे गये है।
विगत वर्षों में देवस्थान विभाग की पहचान मात्र मन्दिरों की सेवा-पूजा और उनकी सम्पत्ति के प्रबंधकर्ता विभाग की रही है। अत: संस्कृति और आस्थाओं के प्रबंध को गतिशील बनाने हेतु शासन की नवीन नीति में देवस्थान विभाग को पर्यटन, कला और संस्कृति के साथ जोडा गया है तथा तीर्थाटन एवं देशाटन को बढाया देने हेतु पर्यटन, कला एवं संस्कृति विभाग् के समन्वय से प्रयास किए जा रहे हैं।
राजस्थान सार्वजनिक प्रन्यास अधिनियम, 1959 के अन्तर्गत न्यासों का पंजीकरण, शिकायतों की जांच, भूमि सुधार कार्यक्रमों के फलस्वरूप मन्दिरों / मठों की भूमियों के पुन: ग्रहण के पश्चात निर्धारित वार्षिकी के भुगतान तथा मन्दिरों / संस्थाओं का सहायता अनुदान स्वीकृत करने के कार्यकलाप भी इस विभाग के कार्यक्षेत्र में विस्तारित हुए है।
विभाग का पता
संपादित करेंविभाग का पता - Panchwati, M.G. College Road, Udaipur - 313001 Phone No : 91 - 294 - 2426130, 2524813 Fax No : 91 - 294 - 2423440