देेेेवी ज्योति :इनका एक अन्य नाम ज्वालामुखी भी है। ये भगवान शिव और भगवती पार्वती की पुत्री हैं। यें अपनी माता पार्वती के समान अत्यंत तेजवान है।इनके जन्म पौराणिक कथा के अनुसार जब महादेव के तेज से भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ तो कुछ तेज देवी पार्वती ने अपने माथे मे संग्रहित कर लिया था।फिर बहुत समय बाद, देवी सो रही थी तो उनके माथे से वह तेज निकलकर देवी ज्योति के रूप मे प्रकट हुई।देवी ज्योति चार हाथो से दर्शाई जाती है।इनके उपर वाले दाया हाथ वर मुद्रा मे और बाएं हाथ मे कमल का पुष्प होता है। इनके नीचे वाले दिये हाथ मे श्रीचक्र और बाएं हाथ मे त्रिशूल होता है।देवी ज्योति हर कार्तिकेय मंदिर मे अदृश्य रूप मे पुजी जाती है।देवी ज्योति परम शक्ति के परम सत्य का प्रधिनीत्व करती है।जब भी कोई भक्त अपने ईष्ट कि पुजा करता है तो वह ज्योति ही प्रज्वलित करता है जिससे देवी उसकी बुद्धि को सही मार्ग पर प्रेरित करती हैं।