पृथ्वी के तल पर स्थित किसी स्थान की भौगोलिक स्थिति बताने के लिए उस स्थान के अक्षांश (latitude) और देशान्तर (370) का मान बताया जाता है। किसी स्थान का देशान्तर, धरातल पर उस स्थान की पूर्व-पश्चिम स्थित को बताता है। परम्परानुसार, सभी स्थानों के देशांतर को प्रधान यामोत्तर के सापेक्ष अभिव्यक्त किया जाता है। देशान्तर शब्द रेखांश से भिन्न है जिसका प्रयोग खगोलीय देशान्तर के लिए होता है , जबकि देशान्तर का प्रयोग भूगोल के लिए होता है।

प्रधान यामोत्तर (गीनीच रेखा) के सभी बिन्दुओं का देशान्तर शून्य डिग्री (माना गया) है। धरती पर स्थित किसी स्थान को दोनों ध्रुवों से मिलाने वाला समतल, ग्रीनिच समतल से जितना कोण बनता है, वह कोण उस स्थान का देशान्तर होगा । देशान्तर का मान शून्य से लेकर १८० तक होता है। इस संख्या के अलावा 'पूर्व' और 'पश्चिम' भी बताया जाता है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर का देशान्तर 82.5 पूर्व है और इस स्थान से होकर जाने वाली यामोत्तर के समय को भारत का मानक समय स्वीकार किया गया है। bharat bharat

इस चित्र में धरती, उस पर स्थित देश/समुद्र आदि, अक्षांश रेखाएँ तथा कुछ प्रमुख यामोत्तर रेखाएँ दर्शायीं गयीं हैं।

यामोत्तर (देशान्तर) और अक्षांश रेखाएं मिलकर एक ग्रिड का निर्माण करती हैं। अक्षांश रेखाएँ समानान्तर होतीं है और अलग-अलग लम्बाई की होतीं हैं। देशान्तर रेखाओं की लम्बाई समान होती है (ये समानान्तर नहीं होतीं)। जब हम विषवत रेखा से ध्रुवों की और जाते हैं तो किन्हीं दो देशान्तर रेखाओं के मध्य की दूरी क्रमशः कम होती जाती है।

""""0° देशांतर जो इंग्लैण्ड की राजधानी लंदन के ग्रीनविच शहर में स्थित विश्व की सबसे बड़ी वेधशाला राॅयल लैब (शाही वेधशाला) के सेन्ट्रल हाॅल के ठीक मध्य से गुजरती है उसे ग्रीनविच रेखा कहते हैं।"""" यह देशांतर को ग्रीनविच मीन टाइम/प्राइम मेरीडियन (जीएमटी) माना जाता है| इस रेखा से पूर्व में स्थित सभी 180° देशांतरों को पूर्वी देशान्तर और पश्चिम में स्थित सभी 180° देशांतरों को पश्चिमी देशान्तर कहा जाता है| सामान्यता पूर्वी देशान्तर को E और पश्चिमी देशान्तरों को W द्वारा निर्देशित किया जाता है| दो देशान्तरों के मध्य 4 मिनट का अंतर होता है, अथार्त पृथ्वी 1° देशांतर घूमने मे 4 मिनट का समय लेती है| 15° धूमने पर पृथ्वी १ घंटा समय लेती है| भारत का समय मानक रेखा से 5.5 घण्टे आगे चलता है

प्रशांत महासागर में उत्तर से दक्षिण तक फैली है, 180° देशांतर को अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा का दर्जा 1884 में वाशिंगटन में हुए एक समझौते में लिया गया। यह रेखा सीधी नहीं है, क्योकि पूर्व और पश्चिमी देशो में एक समान समय बनाए रखने के इस रेखा को कई स्थानों पर पूर्व मै तो कई स्थानों पर पश्चिम की और झुकाया गया है| जैसे-

66½° उत्तर में पूर्व की ओर झुकाव बेरिंग जलसन्धि तथा पूर्वी साइबेरिया में एक समय रखने के लिए।

52½° उत्तर में पश्चिम की ओर झुकाव, एल्युशियन द्वीप एवं अलास्का में एक ही समय दर्शाने के लिए।

52½° दक्षिण में पूर्व की ओर झुकाव, एलिस, वालिस, फिजी, टोंगा, न्यूजीलैंड एवं ऑस्ट्रेलिया में एक ही समय रखने के लिए।

जब कोई भी अंतरराष्ट्रीय रेखा को पार करता है तो तिथि में एक दिन का अंतर हो जाता है| अर्थात जब हम पूर्व से पश्चिम में जाते समय तिथि रेखा को पार करते हैं तो उसे एक दिन का नुकसान हो जाता है| इसी प्रकार जब हम पश्चिम से पूर्व की यात्रा करता है तो यात्रा करने वाले को एक दिन का फायदा होगा|

ग्रीनविच याम्योत्तर 0°देशांतर पर है यह ग्रीनलैंड व नार्वेजियन सागर, ब्रिटेन, फ़्रांस, स्पेन, अल्जीरिया, माले, बुर्किनाफासो, घाना,टोगो व दक्षिण अटलांटिक समुद्र से गुजरता है। प्रमाणिक समय- चूँकि विभिन्न देशान्तरों पर स्थित स्थानों का स्थानीय समय भिन्न-भिन्न होता है। इसके कारण बड़े विशाल देश के एक कोने से दूसरे कोने के स्थानों के बीच समय में बड़ा अंतर पड़ जाता है। फलस्वरूप तृतीयक व्यवसायों के सेवा कार्यों में बड़ी बाधा उत्पन्न हो जाती है। इस बाधा व समय की गड़बड़ी को दूर करने के लिए सभी देशों में एक देशांतर रेखा के स्थानीय समय को सारे देश का प्रमाणिक समय मान लिया जाता है। इस प्रकार में सभी स्थानों पर माने जाने वाले ऐसे समय को प्रमाणिक समय व मानक समय कहते हैं।

""""भारत में 82°30´ पूर्वी देशांतर रेखा को मानक मध्यान्ह रेखा (मानक समय) माना गया है। यह रेखा भारत के उत्तरप्रदेश राज्य के मिर्जापुर जिले के अमरावती चौराहा नामक स्थान से गुजरती है। भारत का प्रमाणिक समय ग्रीनविच मध्य समय (GMT- Greenwich Mean Time) से 5 घंटा 30 मिनट आगे है। यह भारत के साथ साथ नेपाल व श्रीलंका का मानक देशांतर भी है।"""" भारत का मानक समय ग्रीनविच मीन टाइम से 5½ घंटा आगे रहता है। [[[सर्वप्रथम इसका निर्धारण 1896 में चैन्नई को आधार मानकर किया गया था।तब यह रेखा 82° थी और इलाहाबाद (प्रयागराज) के निकट नैनी से गुजरती थी। 1 जनवरी 1906 को पुनः निर्धारण करके 82°30ʼ को भारत का मानक देशांतर घोषित किया गया]]] दो देशान्तरों के बीच की दुरी को गोरे कहा जाता है| दो देशान्तरों के मध्य सर्वाधिक(111.32 किमी.) दुरी भूमध्य रेखा पर होती है| पृथ्वी पर कुल देशान्तरों की संख्या 360 (179 पूर्व 179 पश्चिम 0° ग्रीनविच व 180°)है|

Decanter ke bare me pura jankari

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